आरयू ब्यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में प्राग नारायण रोड स्थित राजकीय बालगृह में पांच दिनों में चार बच्चियों की मौत से लखनऊ प्रशासन में हड़कंप मच गया। वहीं मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए उसके अधीक्षक को निलंबित कर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही जिला प्रशासन ने इन बच्चियों की ठंड से मौत की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि, मौत के कारणों के बारे में सही जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चल पाएगी।
मिली जानकारी के मुताबिक महिला कल्याण विभाग के जिला परिवीक्षा अधिकारी विकास सिंह ने गुरुवार को बताया कि, बाल गृह में चार बच्चियों की मौत दस से 14 फरवरी के बीच इलाज के दौरान हुई है, जो डेढ़ महीने से साढ़े पांच महीने की थीं। उन्होंने कहा कि इन बच्चियों के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। उनका कहना था कि रिपोर्ट आने के बाद मौत के कारणों का पता चल सकेगा। उनके अनुसार घटना के मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं। विकास सिंह के मुताबिक राजकीय बालगृह के अधीक्षक किंशुक त्रिपाठी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है तथा उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
डीपीओ विकास सिंह ने मीडिया को बताया कि बाल गृह में पांच दिनों में चार गंभीर रूप से बीमार शिशुओं को उपचार के दौरान किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज विश्वविद्यालय और सिविल अस्पताल लखनऊ में चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। जिला प्रशासन ने इन बच्चियों की ठंड से मौत होने की बात को खारिज करते हुए कहा कि, इन बच्चियों की स्वास्थ्य स्थिति संस्था में प्रवेश समय से ही गंभीर थी और इनका निरंतर उपचार कराया जा रहा था, लेकिन इन्हें बचाया नहीं जा सका।
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बता दें कि राजकीय बालगृह में नवजात से लेकर दस साल के बच्चे रखे जाते हैं। यह महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित है। यहां निराश्रित, लावारिस एवं परित्यक्त नवजात शिशुओं को बाल कल्याण समिति के आदेश से रखा जाता है। इस बाल गृह में फिलहाल 28 नवजात सहित कुल 75 बच्चे रह रहे हैं। उनका पालन पोषण उत्तर प्रदेश का महिला कल्याण विभाग करता है। बालगृह में शहर में पाए जाने वाले निराश्रित, लावारिस एवं परित्यक्त नवजात शिशुओं को रखा जाता है। शहर में कही भी पाए गए लावारिस शिशु को यहां रखा जाता है। उनके इलाज से लेकर खानपान आदि सभी जिम्मेदारियां इस बाल गृह की होती है।