आखिरकार रोली मिश्रा-ऋचा सिंह सपा ये हुईं निष्कासित, नेताओं को मिलें निर्देश

सपा से निष्कासित
रोली तिवारी मिश्रा और रिचा सिंह। (फाइल फोटो)

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए आखिरकार रोली तिवारी मिश्रा और रिचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। समाजवादी पार्टी ने गुरुवार ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। दरअसल रोली मिश्रा और ऋचा सिंह लगातार स्वामी प्रसाद मौर्य के पुराने कथनों का उल्लेख कर रही थी, जिसके कारण उन्हें सपा समर्थकों की जबरदस्त आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा था। बागी तेवरों के साथ रोली ने यहां तक कह दिया है कि पति देश की सीमा पर राष्ट्रद्रोहियों से लड़ रहे हैं और मैं देश के अंदर सनातन द्रोहियों से लड़ रही हूं। बताया जा रहा है कि रोली के इन तेवरों से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव भी नाराज थे।

वहीं सपा ने दोनों नेताओं को निष्कासित करने के बाद पार्टी नेताओं के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। पार्टी ने गाइडलाइन में निर्देश देते हुए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सांप्रदायिक और धार्मिक मुद्दों पर बहस करने से परहेज करने की हिदायत दी है। इस संबंध में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देशानुसार सभी कार्यकर्ताओं, पार्टी नेताओं, पदाधिकारियों तथा टी.वी. पैनलिस्ट को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि समाजवादी पार्टी डाॅ. लोहिया के आदर्शों से प्रेरणा लेकर लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद में आस्था रखती है।

समाजवादी पार्टी लोहिया जी की सप्तक्रांति और लोकनायक जयप्रकाश जी की सम्पूर्ण क्रान्ति तथा सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है। जातीय जनगणना की मांग भी हम निरंतर करते रहे हैं। साथ ही राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि वर्तमान शासन काल में महंगाई चरम पर है। बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है। भ्रष्टाचार बेलगाम है। किसान, नौजवान सहित समाज का हर वर्ग परेशान है। महिलाओं-बच्चियों को अपमानजनक हालात से गुजरना पड़ रहा है पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति व्याप्त है।

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आगे कहा कि सपा का उद्देश्य जनसामान्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर पार्टी की नीति और कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है। सत्तारूढ़ दल लगातार बुनियादी मुद्दाें से भटकाने का काम करता है। हमें उनके बहकावे में नहीं आना है।  इसलिए सभी को साम्प्रदायिक मुद्दों पर बहस से परहेज करना चाहिए। हमें राजनीतिक चर्चा और बुनियादी सवालों पर ही अपना पूरा ध्यान रखना है। धार्मिक मुद्दा संवेदनशील मुद्दा है। हमें अनायास उससे सम्बन्धित बहसों में नहीं उलझना चाहिए।

बता दें कि रोली तिवारी मिश्रा पिछले कुछ दिनों से अपनी ही पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमलावर दिखी थीं। स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर दिए गए बयान पर रोली मिश्रा अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़ी कर रही थी, जिसके बाद ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि पार्टी जल्द ही उनपर कार्रवाई कर सकती है।

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