आरयू वेब टीम। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि पर्यावरण से जुड़ी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर कर लगाने का कोई भी कदम नैतिक रूप से गलत है और यह ‘ग्लोबल साउथ’ के विकासशील देशों के हितों के खिलाफ है। साथ ही कहा, ‘सीमा समायोजन कर लगाने का एकमात्र एकतरफा फैसलाग्लोबल साउथ की चिंता के खिलाफ जाता है।
सीतारमण ने सीआईआई वैश्विक आर्थिक नीति मंच को आज संबोधित करते हुए कहा, ‘सीमा पार से कर लगाना और यह धन किसी और के हरित एजेंडे में जाना नैतिक नहीं है। हर देश को वैश्विक स्तर पर की गई हरित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाने की जरूरत होगी। उनकी यह टिप्पणी यूरोपीय संघ द्वारा कुछ क्षेत्रों से आयात पर कार्बन कर लगाने की घोषणा की पृष्ठभूमि में आई है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) या कार्बन कर (एक तरह का आयात शुल्क) है जो एक जनवरी 2026 से लागू होगा, लेकिन इसके तहत इस साल एक अक्टूबर से इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, एल्यूमीनियम और हाइड्रोकार्बन उत्पादों समेत सात कार्बन केंद्रित क्षेत्रों की घरेलू कंपनियों को कार्बन उत्सर्जन के संबंध में आंकड़े यूरोपीय संघ के साथ साझा करने की बात कही गई है।
सीतारमण ने अपने संबोधन में कहा कि किसी देश की मूल ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन अक्षय ऊर्जा के प्रसार के संदर्भ में इस तरह से सोचना संभव है कि व्यक्तिगत भागीदारी सुनिश्चित हो।
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इस बीच वित्त मंत्री ने कहा कि 2024 के चुनावों से पहले मोदी सरकार के आखिरी बजट में किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद न करें। परंपरा को ध्यान में रखते हुए यह अंतरिम बजट होगा क्योंकि अगले साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होने हैं। वित्त वर्ष 25 का पूर्ण बजट आम चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा।