आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के कई जिलों से जुटे पीसीएफ कर्मचारियों ने स्टेशन रोड स्थित पीसीएफ मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। बांह पर काली पट्टी बांधें कर्मचारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और पीसीएफ कर्मचारियों के साथ सौतेले रवैये के खिलाफ अब कर्मचारी सड़क पर उतरकर संघर्ष करने के लिए मजबूर हो चुके हैं।
प्रदर्शन कर रहे यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन कर्मचारी सभा के महामंत्री सुनील कुमार ने बताया कि हम लोग कई सालों से कर्मचारियों और विभाग हित की मांगों को लेकर संघर्ष कर रहें हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पीसीएफ सरकार की नीतियों को जमीन पर उतारने के लिए 8.55 फीसदी की ब्याज दर पर राशि लेकर सरकार के समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, दलहन और तिलहन की खरीदारी कर रही, लेकिन भारत सरकार के निर्धारित दर से एफसीआइ का भुगतान नहीं कर रही। ऐसे में पीसीएफ की वित्तीय स्थिति चरमरा गई। अब शासन कोई मदद न देकर तीन फीसदी ज्यादा यानि 11.66 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज दर पर राशि पीसीएफ को दे रही है। इससे हर साल ब्याज का वित्तीय भार पीसीएफ पर बढ़ता जा रहा है। तीन साल से करीब 324.86 करोड़ रुपए के घाटे में संस्था है।
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अपनी मांगों के बारे में कर्मचारी नेता ने कहा कि संगठन ने सातवें वेतन आयोग की संस्तुति कर कर्मचारियों को लाभ देने, एसीपी लाभ, कनिष्ठ सहायक व अर्द्धकुशल श्रमिक वर्ग को ग्रेड पे दो हजार एवं 19 सौ का लाभ तुरंत दिया जाने के साथ ही खाली चल रहे सभी कैडर के पदोन्नति करने व एचआरए और चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर कर्मचारी अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन कर्मचारी सभा के लोगों ने कहा कि पीसीएफ संस्था सरकार की किसानों से जुड़ी सभी जरुरतों को पूरा करने वाली सबसे बड़ी संस्था है। अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी सरकार ने पीसीएफ को खरीद की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी दी है। सरकार को पीसीएफ को गन्ना, खाद्य एवं रसद आदि क्रय करने वाले विभागों की भांति सब्सिडी या कम ब्याज दर पर ऋण देना चाहिए। जबकि सरकार ने पीसीएफ का अलग से कोई बजट भी नहीं कर रखा है, जिससे कर्मचारियों का वेतन आदि का काम भी उसी में किया जाता है। इन परिस्थितियों में उन लोगों की मांगों पर सरकार को जल्द से जल्द संज्ञान लेना चाहिए।
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धरने में प्रमुख रूप से अध्यक्ष उमा शंकर मिश्रा, उपाध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय, मनोज सिंह, नरेंद्र शर्मा, विवेक यादव, मोहित निगम, नौशाद आलम, गौरव, समीर महाजन, अजय कुमार, रमाकांत समेत हजारों कर्मचारी मौजूद रहें।