आरयू वेब टीम। पेगासस का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच चुका है। इसे लेकर अब याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वकील मनोहर लाल शर्मा ने इस पूरे मामले की एसआइटी जांच की मांग की है व भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर की खरीद पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एसआइटी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए।
संसद के मानसून सत्र से पहले पेगासस जासूसी मामला सामने आने के बाद से केंद्र सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर हो गया है। कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग की है, वहीं सरकार इस जासूसी के मामले को संसद में भी खारिज कर चुकी है। मीडिया संस्थानों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इसराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के नेताओं और एक जज सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों।
गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने दावा किया है कि सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के खुफिया साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से ज्यादा पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत बड़ी तादाद में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से ज्यादा मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों। यह रिपोर्ट रविवार को सामने आई है। हालांकि सरकार ने अपने स्तर से विशेष लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा,‘‘ इससे जुड़ा कोई ठोस आधार या सच्चाई नहीं है।’’
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रिपोर्ट को भारत के न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ के साथ-साथ वाशिंगटन पोस्ट, द गार्डियन और ले मोंडे सहित 16 अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों द्वारा पेरिस के मीडिया गैर-लाभकारी संगठन फॉरबिडन स्टोरीज और राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा की गई एक जांच के लिए मीडिया पार्टनर के रूप में प्रकाशित किया गया था।
यह जांच विश्व भर से 50,000 से ज्यादा फोन नंबरों की लीक हुई सूची पर आधारित है और माना जाता है कि इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से संभवतया इनकी हैकिंग की गई है। हालांकि सरकार ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा,‘‘ भारत एक लचीला लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सरकार ने ‘‘जांचकर्ता, अभियोजक और ज्यूरी की भूमिका’’ निभाने की कोशिश संबंधी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर दिया।