आरयू वेब टीम।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के 49वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने छात्रों से कहा कि मैं परंपरा को निभाने के लिए यहां आया हूं। मोदी ने कहा कि मैं यहां का अतिथि नहीं आचार्य हूं।
वहीं सबसे पहले तो यहां का चांसलर होने के नाते मैं आपसे एक बात की माफी मांगना चाहता हूं, क्योकि जब मैं यहां आ रहा था तो मैंने कुछ छात्रों को पानी की समस्या के विषय में बात करते हुए सुना है। इस असुविधा के लिए आप से माफी मांगता हूं।
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश दो अलग देश हैं जो सहयोग एवं आपसी सहयोग से जुड़ें हैं। चाहे उनकी संस्कृति हो या लोकनीति, दोनों देशों के लोग एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। बांग्लादेश भवन इसका एक उदाहरण है। इस दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय का मोदी ने शेख हसीना के साथ बांग्लादेश भवन का उद्घाटन किया।
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वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आज अपने संबोधन में कहा कि रोहिंग्या को हमने अपने देश में पनाह दी है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसा मानवता के आधार पर किया है। हम लोग चाहते हैं कि वे जितना जल्द हो सके अपने देश लौट जाएं। साथ ही उन्होंने भारत से आग्रह किया वह इस मुद्दे पर म्यांमार से वार्ता में उनकी मदद करें ताकि रोहिंग्या अपने देश वापस जाएं।
इस दौरान मोदी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विश्वविद्यालय के कुलपति सबुज काली सेन के साथ मंच साझा किया।
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