राज्‍यपाल सम्‍मेलन: PM मोदी ने कहा, “सरकार नहीं, देश की है नई शिक्षा नीति”

नई शिक्षा नीति
कार्यक्रम में बोलते पीएम मोदी।

आरयू वेब टीम। नई शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। ”देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं, लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए।”

उक्‍त बातें सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर कही। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि ”शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है। देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे।”

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पीएम मोदी ने कहा, ”गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते जॉब्‍स नेचर्स ऑफ वर्क को लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञान और कौशल दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी। नई शिक्षा नीति, स्टडींग के बजाय लर्निंग पर फोकस करती है और करिकुलम से और आगे बढ़करक्रिटिकल थिंकिंग पर जोर देती है। इस पॉलिसी में प्रोसेस से ज्यादा पैशन, प्रैक्टिकैलिटी और परफॉर्मेंस पर बल दिया गया है।”

मोदी ने आगे कहा कि, ”लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्जाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से संबोधित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमारे सही मायने में बिना दबाव के, बिना अभाव और बिना प्रभाव के सीखने के लोकतांत्रिक मूल्यों को हमारी शिक्षा व्वयस्था का हिस्सा बनाया गया है।”

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