इंदौर में लगे ‘सैल्यूट आकाशजी’ के पोस्टर, BJP विधायक की पिटाई से घायल नगर निगम अधिकारी ICU में पहुंचा

इंदौर
इंदौर की सड़कों पर लगे 'सैल्यूट आकाश जी' के पोस्‍टर।

आरयू वेब टीम।

मध्य प्रदेश के इंदौर में नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बैट से पीटने के बाद चर्चा में आए भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका इंदौर कोर्ट से खारिज हो गई है। अब मामले के सुनवाई भोपाल की विशेष अदालत में होगी। इस बीच भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहरभर में आकाश विजयवर्गीय के पोस्टर्स लगाए हैं, जिनमें ‘सैल्यूट आकाश जी’ लिखा हुआ है। हालांकि अब इन पोस्टर्स को नगर निगम की तरफ से हटा लिया गया है।

वही शहरी निकाय के जिस अफसर को बल्ले से पीटा था, उसे एक निजी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया है। पलासिया क्षेत्र स्थित इस निजी अस्पताल के एक डॉक्टर ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की।

उन्‍होंने बताया कि नगर निगम के भवन निरीक्षक धीरेंद्र सिंह बायस (46) को गुरुवार देर शाम उच्च रक्‍तचाप की शिकायत पर आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने बताया कि मरीज की हालत स्थिर बनी हुई है।

दूसरी ओर भाजपा इंदौर के राजवाड़ा में बड़ा मंच तैयार कर रही है, सैकड़ों की संख्या में ये पोस्टर्स लगाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा यहां बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में है।

 गौरतलब है कि दो दिन पहले यानी मंगलवार को नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बैट से पीटने के मामले में बीजेपी विधायक और भाजपा महासचिव के बेटे आकाश विजयवर्गीय की इंदौर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसके बाद अब भोपाल की विशेष अदालत मामले की सुनवाई करेगी। अपर सत्र न्यायधीश ने याचिका खारिज करने के पीछे क्षेत्रीय अधिकार से बाहर का मामला होने की दलील दी।

बता दें भोपाल की विशेष अदालत में ही मध्य प्रदेश के विधायकों और सांसदों से जुड़े मामलों की सुनावाई होती है। ऐसे में अब आकाश विजयवर्गीय के मामले की भी सुनवाई इसी अदालत में होगी।

इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद घटनास्थल पर मौजूद पुलिस ने जर्जर मकान गिराने गई इंदौर नगर निगम की टीम के साथ बुधवार को विवाद के दौरान शहरी निकाय के एक अधिकारी को क्रिकेट बल्ले से पीटने के मामले में आकाश विजयवर्गीय को गिरफ्तार किया था।

मामले की जानकारी देते हुए इंदौर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रुचिवर्धन मिश्रा ने बताया कि विजयवर्गीय और 10 अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 353 (लोक सेवक को भयभीत कर उसे उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए उस पर हमला), 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकाना), 147 (बलवा) और 148 (घातक हथियारों से लैस होकर बलवा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।