आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पिछले कुछ दिनों में परीक्षा प्रणाली की शुचिता पर सवाल खड़ें करने वाली घटनाओं को ध्यान में रखकर उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मामले को गंभीरता से लिया है। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं पर लागाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इस उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति समिति में प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, उप निदेशक, आइआइटी कानपुर, प्रो. विनय कुमार पाठक, कुलपति, अ.क.प्रा.वि., लखनऊ, प्रो. सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थ नगर को नामित किया गया है।
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यह समिति मुख्य रूप से प्रश्न-पत्र बनाने, मॉडरेशन प्रक्रिया और मूल्यांकन कार्य को नवीनतम तकनीक से लैस करने और किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना को नगण्य रखने की प्रणाली विकसित करने पर सुझाव देगी। समिति की संस्तुतियां एक माह के भीतर प्राप्त हो जाएंगी।
इस संबंध में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों में प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में प्रश्न-पत्र लीक होने की घटना को देखते हुए जरूरी हो गया है कि उचित और ठोस कदम उठाए जाएं। प्रदेश के एक विश्वविद्यालय ने अपनी परीक्षा प्रणाली को पूर्णतः तकनीक पर आधारित किया है, जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। इसकी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए तकनीक के प्रयोग में भी किसी प्रकार की घुसपैठ की संभावना को समाप्त करने पर विशेषज्ञों के सुझाव प्राप्त किए जाएंगे।
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डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रश्न-पत्र मॉडरेशन को आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस आधारित करने से मानवीय त्रुटियों की संभावना समाप्त होगी तथा परीक्षा प्रणाली ‘व्यक्ति आधारित’ नहीं रहेगी। इसी प्रकार डिजिटल मूल्यांकन को अतिरिक्त रूप से सुरक्षित करने की प्रक्रिया भी समिति द्वारा निर्धारित की जाएगी। उन्होंने कहा कि समिति की संस्तुतियों पर प्रदेश सरकार की मंशा तत्काल प्रभाव से कार्रवाई सुनिश्चित करने की है।