टली फारुक अब्दुल्ला की रिहाई, पीएसए की अवधि तीन महीने बढ़ी

पीएसए
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और श्रीनगर के सांसद डॉ. फारुक अब्दुल्ला की नए साल के आगमन पर रिहाई की उम्मीद फिलहाल टल गई है। सामान्य परिस्थिति में वह अब मार्च 2020 में ही रिहा होंगे, क्‍योंकि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम के पीएसए के तहत शनिवार को उनकी कैद को एक बार फिर तीन माह के लिए बढ़ा दिया है। वह उपकारागार में परिवर्तित अपने घर में रहेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अब्दुल्ला पांच बार सांसद रहे हैं। केंद्र ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से राज्य का विशेष दर्जा हटाने और उसके विभाजन की घोषणा की थी और उसी दिन से वह हिरासत में हैं। नेशनल कांफ्रेस (नेकां) के नेता पर सख्त जन सुरक्षा कानून (पीएसए) पहली बार 17 सितंबर को लगाया गया था, जिसके कुछ ही घंटे बाद एमडीएमके नेता वाइको की एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई करने वाला था।

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याचिका में वाइको ने आरोप लगाया था कि नेकां नेता को गैर कानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि नेकां अध्यक्ष पर पीएसए के ‘सरकारी आदेश’ के तहत मामला दर्ज किया गया है जो किसी व्यक्ति को बगैर सुनवाई के तीन से छह महीने तक जेल में रखने की इजाजत देता है।

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