आरयू ब्यूरो, लखनऊ। प्रवर्तन से हटाए जाने के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मी अवैध निर्माण की ठेकेदारी से बाज नहीं आ रहें हैं। ऐसे ही एक मामले में सोमवार रात एक कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है। अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के आरोप में मेट को निलंबित करते हुए एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने उसकी जांच शुरू करा दी है। जांच रिपोर्ट आने पर अपार्टमेंट अनुभाग में तैनात मेट नाजिम रजा के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
वहीं अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के इस मामले में किसी इंजीनियर व अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। ऐसे में समझना मुश्किल है बिना किसी अफसर या इंजीनियर की हरि झंडी के एक मेट पुराने लखनऊ के इलाकों में अवैध निर्माण को किस तरह बढ़ावा दे रहा था।
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एलडीए अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि नाजिम रजा प्राधिकरण में मेट के पद पर कार्यरत है। पूर्व में उसे प्रवर्तन जोन सात से हटाकर अपार्टमेंट अनुभाग में स्थानांतरित किया गया था। लेकिन, इसके बाद भी नाजिम रजा अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहा था। इसकी शिकायत मिलने पर उपाध्यक्ष ने विशेष कार्याधिकारी देवांश त्रिवेदी को जांच अधिकारी नामित करते हुए रिपोर्ट तलब की थी। शुरूआती जांच में मेट नाजिम रजा पर लगे आरोप सही पाये मिले।
इस पर उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने सख्त कार्यवाही करते हुए नाजिम रजा को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में नाजिम को विधि अनुभाग से सम्बद्ध किया गया है। इसी के साथ विहित प्राधिकारी विपिन कुमार शिवहरे को उक्त प्रकरण में जांच अधिकारी नामित किया गया है। उनके द्वारा आरोप पत्र तैयार करते हुए आगे की कार्रवाई कराई जाएगी।
15-20 प्रतिशत का लालच दे, अर्निंग हैंड की तरह इस्तेमाल करते हैं शातिर अफसर
बताते चलें कि प्रवर्तन में तैनात कुछ शातिर अफसर व इंजीनियर कर्मियों को वसूली का 15 से 20 प्रतिशत देने का लालच देकर अर्निंग हैंड की तरह इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि महीनों पहले प्रवर्तन से हटाए जा चुके कई सुपरवाइजर व मेट आज भी इन्हीं के इशारे पर न सिर्फ शहरभर अवैध निर्माण की ठेकेदारी कर एलडीए की साख मिट्टी में मिला रहें, बल्कि प्राधिकरण के ईमानदार अफसरों की भी शासन से लेकर अदालतों में किरकिरी करा रहें हैं।
डीलिंग की मोहलत देने वाले अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
वहीं अवैध निर्माण के इस खेल में प्रवर्तन के अलावा अन्य अनुभागों के कुछ अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है। यह वही अनुभागाध्यक्ष है जो प्रवर्तन से हटाए गए दागी कर्मियों से अपने अनुभाग में काम लेने की जगह शहर में अवैध निर्माण की डीलिंग कराने के लिए आजाद छोड़ देते हैं। नाजिम रजा से पहले भी कई ऐसे ही कर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है जिनकी पोस्टिंग पार्क या दूसरी जगह पर थीं, लेकिन वह ड्यूटी टाइम में ही शहर में घूमकर अवैध बिल्डिंग बनाने की डीलिंग करते पकड़े गए हैं।
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सीएम के विभाग की साख बचाने को युवा वीसी को उठाना होगा कड़ा कदम!
वहीं मौजूदा हालात को देखते हुए समझा जा रहा है कि एलडीए की सबसे ज्यादा बदनामी कराने वाली अवैध निर्माण की ठेकेदारी प्रथा से निपटने व सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से सीधे जुड़े विभाग एलडीए की साख बचाने के लिए प्राधिकरण के सबसे युवा वीसी प्रथमेश कुमार को कड़े कदम उठाने होंगे। इसके लिए न सिर्फ चतुर्थ श्रेणियों के कर्मियों बल्कि ऐेसे अफसर-इंजीनियर को भी चिन्हित कर कार्रवाई करनी होगी जो इन कर्मचारियों के जरिए लखनऊ में अवैध निर्माण को बढ़ावा देने का सिंडिकेट चला रहें हैं।
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पांच मंजिला तना अवैध निर्माण तब दिया इंजीनियरों को दिखाई
वहीं मेट पर कार्रवाई से पहले एलडीए प्रवर्तन जोन पांच की टीम ने कुछ ऐसे अवैध निर्माणों पर आज दोपहर कार्रवाई की है जिससे उन्हीं की मंशा व भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। देवा रोड स्थित रहमानपुर में जहां जोनल अधिकारी माधवेश कुमार की टीम ने 1114 वर्गमीटर में बेसमेंट समेत पांच मंजिला अवैध कॉमर्शियल भवन खड़ा होने के बाद सीलिंग की। वहीं जानकीपुरम विस्तार के समीप साईं विहार कॉलोनी में दो रो हाउस की पूरी तरह से फीनिशिंग होने के बाद उन्हें सील किया गया।
रात आठ बजे के बाद एलडीए की ओर से जारी आधे-अधूरे प्रेस नोट में इन तीनों ही निर्माणों को अवैध बताया गया है। हालांकि यह अवैध निर्माण किन इंजीनियर या अफसरों की सरपरस्ती में खड़े किए गए इसका जवाब एलडीए के जिम्मेदार अधिकारियों के पास नहीं है।