आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। प्रदेश भर में कभी किसी तो कभी किसी बहाने से जनता की जेब काटने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ आज योगी सरकार ने शिकंजा कस दिया है। मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में स्कूल की फीस बढ़ाने से लेकर तमाम दूसरे खर्चों की लिमिट सरकार ने तय कर दी है।
योगी की कैबिनेट ने जनता को राहत देते हुए निजी स्कूलों की सालाना फीस वृद्धि का फॉर्मूला भी तय कर दिया है। फॉर्मूले के तहत प्राइवेट स्कूल अद्यावधिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पिछले सत्र के शुल्क का पांच प्रतिशत जोड़ते हुए हर साल इतनी ही फीस बढ़ा सकेंगे।
वहीं ये भी तय कर दिया गया है कि अब स्कूल सिर्फ चार तरह के ही शुल्क जनता से ले सकेंगे। जिसमें विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क शामिल है।
इसके अलावा अब स्कूल वाहन, हॉस्टल, कैंटीन और टूर शुल्क उन्हीं से वसूल सकेगा जो छात्र अथवा छात्रा इसकी सुविधा लेती है। इसके बदले में स्कूल को शुल्क रसीद देना अनिवार्य होगा।
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इसके साथ ही अब नियमों के अनुसार स्कूल छात्रों की ड्रेस में पांच साल तक बदलावा नहीं कर सकेगा। वहीं अब स्कूल जूते-मोजे किसी दुकान से लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। ऐसा करने पर भी उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।
योगी की कैबिनेट मीटिंग के बाद उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने मीडिया को बताया कि कैबिनेट में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अध्यादेश, 2018 के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि जनता को राहत देने और तमाम शिकायतों को देखते हुए अब सरकार जल्द ही यह अध्यादेश लाएगी।
वहीं निधार्रित फीस से अधिक फीस वसूलने पर स्कूल प्रबंधन पर पहली बार एक लाख रुपये और दूसरी मर्तबा पांच लाख रुपये आर्थिक दंड लगाया जाएगा। जबकि तीसरी बार ऐसा करने पर स्कूल की मान्यता रद कर दी जाएगी।