पहलगाम आतंकी हमले पर टिप्‍पणी केस में लखनऊ विश्‍वद्यालय की प्रोफेसर माद्री काकोटी को मिली अग्रिम जमानत

हाईकोर्ट

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ विश्‍वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अग्रिम जमानत मिल गई। पहलगाम हमले पर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी के बाद उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इस मामले की गंभीरता को समझते हुए सोमवार को लखनऊ विश्‍वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए अंतरिम राहत दे दी है।

इससे पहले डॉ. काकोटी की अंतिम जमानत की याचिका लखनऊ बेंच से खारिज हो चुकी थी। उनकी अग्रिम जमानत अर्जी को एडीजे उमाकांत जिंदल ने खारिज कर दिया था। कोर्ट में अभियोजन की ओर से बताया गया की वादी जतिन शुक्ला उर्फ मोहन शुक्ला ने हसनगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया था कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी थी और हत्या से पहले पर्यटकों का धर्म पूछा था।

कोर्ट में अभियोजन की और से बताया गया कि वादी जतिन शुक्ला उर्फ मोहन शुक्ला ने हसनगंज थाने में दर्ज कराई थी, जिसमें बताता गया था की जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह ने 26 पर्यटकों की हत्या कर दी और हत्या से पहले पर्यटकों का धर्म पूछा था। ये घटना भारत की संप्रभुता पर हमला था, लेकिन भारत के अंदर रहने वाले कुछ राष्ट्र विरोधी मानसिकता के लोग इस घटना का मौन समर्थन और बचाव कर रहे हैं।

दरअसल डॉ. माद्री काकोटी के ट्वीट पाकिस्तान में पीटीआई प्रमोशन नाम के एक्स हैंडल से रिपोस्‍ट किया गया था, जिसमें वो कह रही थी कि कश्मीर के पहलगाम में 27 लोग मारे गए हैं। इसमें आप जैसे मुझ जैसे दिखने वाले आम हिंदुस्तानी 27 लोग की जान चली गई और मीडिया उनकी लाशों पर टीआरपी बटोरने में लगी है। इसके जिम्मेदार लोग से कोई वाजिब सवाल नहीं पूछा, इंटरनल सिक्योरिटी में इतनी बड़ी चूक हो गई और होम मिनिस्टर को पता तक नहीं चला।

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प्रोफेसर ने अपने पोस्ट में कहा था कि अगर सरकार इन सब की जिम्मेदार नहीं है तो वह करती क्या है? सोशल मीडिया पर भौंकने वाले भारत के कुत्ते जो दो रुपए पर कमेंट के हिसाब से अपने नफरत की रोटी सेकते हैं वो भी इस अटैक पर अपनी गंदी राजनीति का एजेंडा बनाने में लगे हैं। हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सुनवाई की और फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर को अंतरिम राहत दी है।

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