आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर ने योगी सरकार द्वारा जारी किए जा रहे डीजीपी उत्तर प्रदेश चयन और नियुक्ति नियमावली 2024 को चुनौती दिए जाने की बात कही। शनिवार को अमिताभ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग को मुख्य रूप से जिम्मेदार बनाते हुए वरिष्ठतम तीन आइपीएस अफसरों के बीच चयन की बात कही थी। वहीं योगी सरकार इस निर्देश को दरकिनार करते हुए यूपीएससी के पास संस्तुति भेजने की जगह एक मनचाही कमेटी के माध्यम से नियुक्ति किए जाने की व्यवस्था कर रही है। साथ ही वरिष्ठतम तीन आइपीएस अफसर की जगह पे मैट्रिक्स 16 के सभी आइपीएस अफसर के मध्य डीजीपी के चयन की बात की जा रही है।
पत्रकारों से अमिताभ ठाकुर ने आगे कहा कि इस प्रकार यूपी सरकार अपने द्वारा बनाई गई मनचाही कमेटी के माध्यम से किसी भी जूनियर अफसर को डीजीपी पद पर तैनात कर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के साथ पूर्ण खिलवाड़ कर सकेगी। अतः आजाद अधिकार सेना इसे शीघ्र हाई कोर्ट में चुनौती देगी।
दरअसल उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी गई है। पांच नवंबर को योगी की कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल गई है। जिसके तहत अब यूपी के डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होगा। कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चयन नियमावली 2024 को मंजूरी दे दी है। इससे डीजीपी की नियुक्ति अब राज्य स्तर से ही हो सकेगा। इसको यूपीएसएसी को पैनल नहीं भेजना पड़ेगा।
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने पूर्णकालिक डीजीपी चयन के लिए एक नई नियमावली को हरी झंडी दिखा दी है। मई, 2021 में योगी सरकार ने तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को पद से हटा दिया था। उनकी जगह डीजी इंटेलिजेंस रहे डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। तब से लेकर आज तक यूपी को कोई पूर्णकालिक डीजीपी नहीं मिल पाया है। योगी सरकार के इस तरह के फैसले पर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है, लेकिन सरकार कार्यवाहक डीजीपी ही तैनात करती चली आ रही है।