अमिताभ ठाकुर ने चुनाव आयोग से की योगी आदित्यनाथ की शिकायत, लगाया आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप

अमिताभ ठाकुर

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी हुई हैं। इस बीच आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर चुनाव आयोग पहुंचे। दरअसल अमिताभ ठाकुर ने चुनाव आयोग से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कथित रूप से आचार संहिता के उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाकर शिकायत की है।

ईसी को अपनी शिकायत में अमिताभ ठाकुर ने कहा कि आयोग ने आचार संहिता में स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो विभिन्न समुदायों के बीच विद्यमान भेदभाव को और अधिक बिगाड़े या परस्पर तनाव पैदा करें। साथ ही चुनाव आयोग ने वोट हासिल करने के लिए सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर अपील करने को भी निषिद्ध किया है।

इसके विपरीत सीएम योगी ने मथुरा में अयोध्या के राम मंदिर के साथ मथुरा प्रकरण के संबंध में ऐसी टिप्पणियां की हैं, जो समुदायों के मध्य तनाव को बढ़ाने वाली हैं। साथ ही ये टिप्पणियां वोट हासिल करने की दृष्टि से धर्म विशेष की ओर इंगित है। अमिताभ ठाकुर ने इन टिप्पणियों को आचार संहिता के प्रस्तर एक के उपप्रस्तर एक और तीन का उल्लंघन बताते हुए उनके संबंध में समुचित विधिक कार्यवाही की मांग की है।

बता दें कि चुनाव आयोग के लोकसभा चुनाव 2024 तारीखों की घोषणा के साथ ही देशभर में आचार संहिता लागू हो गई। इसे लेकर आयोग ने एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक की और उन्हें धन और बाहुबल बीएल पर अंकुश लगाने समेत कई निर्देश दिए।

यह भी पढ़ें- चुनाव आयोग का राजनीतिक दलों को निर्देश, सभी तरह के प्रचार-प्रसार से बच्चों को रखें दूर

चुनाव आयोग के अनुसार, आदर्श आचार संहिता के लागू होने के साथ ही कोई दल या उम्मीदवार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो धार्मिक या भाषाई जातियों और समुदायों, के बीच मतभेद को बिगाड़े या परस्पर घृणा या तनाव उत्पन्न करे। जब राजनीतिक दलों की आलोचना की जाए, तो उसे उनकी नीतियों और कार्यक्रम, विगत रिकॉर्ड और कार्य तक ही सीमित रखा जाएगा।

दल और उम्मीदवार दूसरे दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की निजी जिंदगी के सभी पहलुओं की आलोचना करने से दूर रहें। इसमें शर्त है कि ये पहलु किसी के सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े नहीं होने चाहिए। तोड़-मरोड़ कर या असत्यापित आरोपों के आधार पर दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना करने से बचना होगा। साथ ही वोट हासिल करने के लिए जाति या संप्रदाय की भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मस्जिदों, चर्चों, मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।