अमिताभ ठाकुर के राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान करते ही घर पहुंच गयी पुलिस, “पूर्व IPS ने पूछा, इतना डर क्‍यों रही सरकार?”

अधिकार सेना

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी काडर के पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वह जल्द ही एक नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। अमिताभ ठाकुर ने कहा कि अपने समर्थकों और शुभचिंतकों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है।

वही पूर्व आइपीएस के राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान करने के कुछ ही देर बाद गोमतीनगर पुलिस विराम खंड स्थित उनके आवास पर पहुंच गयी। जिसके बाद अमिताभ ठाकुर ने एक वीडियो ट्विट करते हुए कहा कि उनकी अयोध्या व गोरखपुर यात्रा के निकट आते व नयी राजनैतिक पार्टी की घोषणा करते ही फिर नजरबंद।

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पुलिस के अवास पर पहुंचकर उन्‍हें रोकने की कार्यवाही को अमिताभ ठाकुर ने अजीबो-गरीब स्थिति बताते हुए कहा कि लग रहा है कि कानून का नहीं व्यक्ति विशेष का राज हो। साथ ही अमिताभ ठाकुर ने योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए सवाल किया है कि सरकार इतना डर क्यों रही है?

इससे पहले आज सुबह अमिताभ ठाकुर ने कहा कि पार्टी बनाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी और उनके नए संगठन का प्रस्तावित नाम ‘अधिकार सेना’ होगा। पूर्व आइपीएस ने कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से पार्टी के उद्देश्य, मिशन और संरचना के साथ नाम सुझाने का भी अनुरोध किया है। इसी महीने अमिताभ ठाकुर ने घोषणा की थी कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।

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वहीं उनकी पत्‍नी नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया था, आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई अलोकतांत्रिक, अनुचित, दमनकारी, परेशान करने वाले और भेदभावपूर्ण कदम उठाए, इसलिए आदित्यनाथ जहां से भी चुनाव लड़ेंगे, वहां से अमिताभ उनके खिलाफ अवश्य ही चुनाव लड़ेंगे।’’ उन्होंने कहा था, यह उनके लिए सिद्धांतों की लड़ाई है और वह गलत कामों का विरोध करेंगे।”

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लिए गए एक निर्णय के बाद ठाकुर को 23 मार्च को जनहित में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आदेश में ठाकुर के बारे में कहा गया था कि उन्हें अपनी सेवा के शेष कार्यकाल के लिए बनाए रखने के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। अमिताभ का कार्यकाल 2028 में पूरा होने वाला था। ठाकुर ने 2017 में केंद्र से अपना काडर राज्य बदलने का आग्रह किया था। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह पर उन्हें धमकी देने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद अधिकारी को 13 जुलाई 2015 को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने अप्रैल 2016 में उनके निलंबन पर रोक लगा दी और 11 अक्टूबर 2015 से पूरे वेतन के साथ उनकी बहाली का आदेश दिया था।