आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पूर्व सांसद धनंजय सिंह को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण करने, उससे रंगदारी मामले में जौनपुर कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने धनंजय पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अब धनंजय सिंह लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। उनके सहयोगी संतोष विक्रम को भी सात साल की सजा सुनाई गई है। प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले पिस्टल लगाकर अपहरण किया गया था।
पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि एक राज्यमंत्री और पुलिस अधिकारी ने उन्हें फंसाया है। सजा मिलने के बाद धनंजय सिंह ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन पर कार्रवाई हुई है। वह हाई कोर्ट में अपील करेंगे। उधर पूरी प्रक्रिया के दौरान एमपी एमएलए कोर्ट के बाहर धनंजय के समर्थकों की भीड़ लगी रही उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी की गई।
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उल्लेखनीय है कि नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने दस मई 2020 को लाइन बाजार थाने धनंजय सिंह और संतोष विक्रम के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत थी कि पूव सांसद धनंजय सिंह अपने साथी संतोष विक्रम और दो अन्य लोगों के साथ पचहटिया साइट पर पर पहुंचे थे। वहां उन्होंने अपनी एसयूवी में अपहरण कर लिया और कालीकुत्ती स्थित आवास ले गए।
धनंजय सिंह वहां पिस्टल लेकर आए और कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। मना करने पर धमकी देते हुए रंगदारी भी मांगी। वह किसी तरह छूटकर धंनजय के आवास से निकले और सीधे लाइन बाजार थाने पहुंचे। वहां आरोपितों के खिलाफ एफआइआर लिखाई। पुलिस ने पूर्व सांसद को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।