आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को सोमवार को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से बड़ी राहत मिली है। करीब सात महीने बाद अमिताभ ठाकुर को इलाहाबाद की हाई कोर्ट बेंच के जस्टिस राजीव सिंह की कोर्ट ने जमानत दी है। अमिताभ ठाकुर के खिलाफ लखनऊ के थाना हजरतगंज में वाराणसी की रेप पीड़िता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह करने के प्रकरण में दर्ज हुई एफआइआर में जमानत के संबंध में बहस हुई।
जानकारी के मुताबिक, पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर की ओर से कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा गया है कि उन्हें फर्जी फंसाया गया है और जान-बूझकर सुप्रीम कोर्ट के सामने अंतिम वीडियो में सात लोगों में केवल उन्हें ही मुजरिम बनाया गया, जबकि उन्होंने मात्र अपने विधिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए, जो उनके पास सूचना आई थी उसे सक्षम अधिकारियों के पास कार्रवाई के लिए भेजा था। वहीं, सरकार की तरफ से इस मामले में अमिताभ ठाकुर के खिलाफ विरोध किया गया और अमिताभ के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए।
इससे पहले 27 अगस्त को रेप पीड़िता की आत्महत्या से जुड़े मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था। रेप पीड़िता ने अमिताभ पर,आपराधिक षड्यंत्र रचने और उन पर रेप करने के आरोपित सांसद अतुल राय को बचाने, मुख्तार अंसारी की शह पर पीड़िता के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने का भी आरोप लगा था।
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मालूम हो कि 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। यूपी के सात जिलों में एसपी का पद संभाल चुके अमिताभ ठाकुर एक तेज-तरर्रार और कड़क पुलिस अफसर के रूप में जाने जाते हैं। अमिताभ ठाकुर नेशनल आरटीआई फोरम के संस्थापक भी रहे हैं। उनकी पत्नी नूतन ठाकुर भी एक सामाजिक कार्यकर्ता व वकील हैं।