आरयू ब्यूरो, लखनऊ। शनिवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आयोजित आरोग्य भारती के अखिल भारतीय प्रतिनिधिमंडल की वार्षिक बैठक का शुभारंभ करते हुए कार्यक्रम को संबोधित किया। जिसमें योगी ने आरोग्य भारती के कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि आरोग्य भारती के कार्यकर्ता और चिकित्सक बिना भेदभाव के सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के कालखंड में पूरे सेवाभाव के साथ राहत व बचाच के मा में जुटे थे। कोरोना कालखंड में संगठन के कामों को हम सभी ने महसूस किया है। समाज के सच्चे सेवकों का हार्दिक अभिनंदन।
इससे पहले योगी ने कहा कि मैं सबसे पहले आरोग्य भारती के अखिल भारतीय प्रतिनिधिमंडल के उपस्थित सभी प्रतिनिधियों का लखनऊ में हृदय से स्वागत करता हूं। भगवान श्री लक्ष्मण जी की पावन धरा पर सभी प्रतिभागी गणों का हार्दिक अभिनंदन। मैं आरोग्य भारती को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने अपनी इस बैठक को देश की आबादी के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आयोजित किया है।
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योगी ने कहा कि कोरोना काल में प्रत्येक नागरिक के बचाव व जागरूकता के लिए जो विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चले, उनमें आरोग्य भारती उन चुनिंदा संगठनों में से एक था, जिसने यूपी सरकार के साथ कदम मिलाकर बिना किसी भेदभाव के समाज के हर तबके को उत्तम आरोग्यता प्रदान करने का काम किया।
सीएम ने बीमारी से बचने की भी लोगों को सलाह देते हुए कहा कि कोई भारतीय परिवार ऐसा नहीं होगा जो दैनिक भोजन में हल्दी का सेवन न करता हो। हल्दी की ताकत को दुनिया ने कोरोना कालखंड में अवश्य समझा होगा। कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने ‘आरोग्य सम्पदा’ पत्रिका के नए अंक ‘वृद्धावस्था’ का लोकार्पण भी किया।
इस दौरान सीएम योगी यूपी की पिछली सरकार पर अपने शब्दों के बाण छोड़ने से भी नहीं चूके। योगी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 38 जनपदों में मस्तिष्क ज्वर यानी इंसेफेलाइटिस से प्रति वर्ष हजारों मौतें हो जाती थीं। मध्य जुलाई से लेकर मध्य नवंबर तक प्रति वर्ष वहां 1200 से 2000 तक मौतें होती थीं। 40 वर्ष में 50 हजार से अधिक बच्चों की मौतें हुई थीं। इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद से लेकर 19 वर्षों तक मैंने संसद से लेकर सड़क तक इस पर आंदोलन किया। 2017 में सरकार बनने के बाद मेरे ऊपर जिम्मेदारी थी। प्रभावित गांवों की सूची बनाई। विभागों के बीच समन्वय कराया। स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाकर मेडिकल एजुकेशन, आयुष, नगर विकास, ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग को जोड़कर सामूहिक रूप से अभियान को आगे बढ़ाया। सफाई पर विशेष ध्यान दिया। शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया। प्रभावित बस्तियों में साबुन बंटवाए। प्रगति की लगातार समीक्षा की। अधिकारियों, चिकित्सकों को काम पर लगाया। परिणामस्वरूप पांच वर्ष के अंदर पूर्वी उत्तर प्रदेश में ये बीमारी समाप्त हो चुकी है।