राहुल की प्रधानमंत्री को चुनौती, बिना पुलिस यूनिवर्सिटी जाकर दिखाएं

प्रधानमंत्री को चुनौती
मीडिया से बात करते राहुल गांधी।

आरयू वेब टीम। राहुल गांधी ने आज एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। नागरिकता कानून को लेकर पार्टी द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद राहुल ने कहा कि आज देश में किसान और छात्र केंद्र सरकार से बेहद गुस्सा हैं। इनके गुस्से की मुख्य वजह है बेरोजगारी और महंगाई। देश की मौजूदा सरकार हर मौर्चे पर फेल साबित हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी में युवाओं को यह बताने की हिम्मत होनी चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक आपदा बन गई है। उनमें छात्रों के सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं है। मैं उन्हें किसी भी विश्वविद्यालय में जाने के लिए चुनौती देता हूं, बिना पुलिस के वहां जाएं और लोगों को बताएं कि वह इस देश के लिए क्या करने जा रहे हैं। विश्‍वविद्यालय में जाकर वहां के छात्रों को बताएं कि आखिर आपने उनके लिए किया क्या है। वह छात्रों को बताएं कि आखिर आज देश की अर्थव्यवस्था की यह हालत क्यों है? देश में इतनी बेरोजगारी क्यों है? और यूनिवर्सिटी के अंदर छात्रों पर पुलिस से लाठियां क्यों चलवा रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति को लेकर युवाओं में गुस्सा और डर है क्योंकि उन्हें अपना भविष्य नहीं दिखाई दे रहा है। सरकार का काम देश को रास्ता दिखाने का होता है, लेकिन यह सरकार इसमें नाकाम हो गई है। इसलिए विश्वविद्यालयों, युवाओं और किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

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वहीं उन्‍होंने आगे कहा कि इस स्थिति को ठीक करने की बजाय नरेंद्र मोदी ध्यान भटकाने और देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। देश की जनता समझती है कि मोदी जी अर्थव्यवस्था, रोजगार और देश के भविष्य के मुद्दों पर विफल हो गए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज युवा आवाज उठा रहे हैं। वो जायज है। उसे दबाया नहीं जाना चाहिए। सरकार को इस आवाज को सुनना चाहिए। युवाओं को रोजगार कैसे मिलेगा और अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को युवाओं और छात्रों की आवाज सुननी चाहिए। उनकी बात का जवाब देने का साहस करना चाहिए। उन्हें यह बताने का साहस करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत क्यों हुई है।

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 20 दलों के नेता शामिल हुए। इस बैठक में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद पैदा हुए हालात, आर्थिक मंदी तथा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।

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