रमजान में मतदान पर नेताओं और धर्मगुरु ने जताई आपत्ति, भाजपा को फायदा बताते हुए चुनाव आयोग से की अपील

रमजान में मतदान
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। 

लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही मतदान की तारीखों को लेकर एक बड़ा सवाल उठता दिखाई दे रहा है। इस सवाल में भाजपा को फायदा और मुस्लिम वर्ग के लोगों को अप्रत्‍यक्ष रूप से वोटिंग से रोकने की बात कही जा रही है।भीषण गर्मी में पड़ने वाले रमजान के महीने में वोटिंग की तीन तारीखों को रखने को लेकर राजनीतिक पार्टियों के साथ धर्म गुरुओं ने भी सवाल उठाते हुए इन्‍हें बदलने की मांग शुरु कर दी है।

वहीं तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने रमजान में मतदान के दौरान वोटिंग को सत्तारूढ़ भाजपा की साजिश करार दिया है। टीएमसी नेता और कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर फरहद हकीम ने कहा है कि चुनाव आयोग ने रमजान के वक्‍त चुनाव की तारीखें रखी हैं, ताकि अल्पसंख्यक वर्ग वोट न डाल सके। उन्होंने कहा कि रमजान में चुनाव होने की वजह से लोगों को वोट डालने में दिक्कत होगी। पश्चिम बंगाल में 31 फीसदी मुसलमान मतदाता है। चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव होंगे। इसी बीच पांच मई से चार जून के बीच रमजान पड़ रहे हैं। फरहाद हकीम ने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी नहीं चाहती कि अल्पसंख्यक अपना वोट करें।

इसके अलावा उन्‍होंने मोदी सरकार पर चुनाव आयोग को गुमराह करने का भी आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में चुनाव आयोग को गुमराह किया है। सरकार ने जानबूझकर चुनाव आयोग को राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में गलत जानकारी दी है।

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हकीम ने ये भी कहा कि हम सात चरण के चुनाव से डरते नहीं हैं। बंगाल के लोग टीएमसी और ममता बनर्जी के साथ हैं। इस तरह की लंबी मतदान प्रक्रिया रमजान का महीना और अप्रैल और मई में भीषण गर्मी के कारण लोगों पर बहुत दबाव डालेगी।

वहीं आप के सांसद संजय सिंह ने आज सोशल मीडिया के जरिए रमजान में मतदान पर सवाल उठाएं हैं। उन्‍होंने कहा कि चुनाव आयोग मतदान में हिस्सा लेने की अपील के नाम पर करोड़ों ख़र्च कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ तीन फेज का चुनाव पवित्र रमजान के महीने में रख कर मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी कम करने की योजना बना दी है। साथ ही उन्‍होंने चुनाव आयोग को नसीहत देते हुए आगे कहा कि सभी धर्मों के त्योहारों का ध्यान रखो सीइसी साहब।

दूसरी ओर दिल्ली में आम आदमी पार्टी से ओखला विधानसभा सीट से विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी रमजान के दौरान वोटिंग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलने का दावा किया है। अमानतुल्लाह ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए लिखा, ’12 मई का दिन होगा दिल्ली में रमजान होगा मुसलमान वोट कम करेगा इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा।’

इससे पहले रविवार की रात यूपी की राजधानी लखनऊ के ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने चुनाव आयोग से मुसलमानों की भावना का खयाल रखने और चुनाव तिथि रमजान माह से पहले या बाद में करने की मांग की है।

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अपने एक बयान में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, पांच मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीना रमजान का चांद देखा जाएगा। चांद दिख जाता है तो छह मई को पहला रोजा होगा। रोजे के दौरान देश में छह मई, 12 मई व 19 मई को मतदान की घोषणा की गई है। इससे करोड़ों रोजेदारों को परेशानी होगी। उन्होंने चुनाव आयोग से छह, 12 व 19 मई को होने वाले मतदान की तिथि बदलने की मांग की है।