आरयू वेब टीम। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर रेप और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाने वाली छात्रा को आज गिरफ्तार कर लिया गया है। एसआइटी ने सुबह करीब साढ़े आठ बजे छात्रा को उसके घर से गिरफ्तार किया। पिता ने गिरफ्तार करने की पुष्टि की है। छात्रा को मेडिकल के लिए ले जाया गया। उसके बाद छात्रा को कोर्ट में पेश किया गया। जहां कोर्ट ने छात्रा को 14 दिन के न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। छात्रा पर चिन्मयानंद से फिरौती मांगने का आरोप था। फिरौती का एक वीडियो सामने आया था, जिसके बाद छात्रा और उसके तीन साथियों पर पुलिस ने फिरौती मांगने का केस दर्ज किया था।
गौरतलब है कि पीड़िता की अग्रिम जमानत पर गुरुवार को सुनवाई होने वाली थी, लेकिन एसआइटी ने अदालत के फैसले का इंतजार नहीं किया। अधिकारियों ने बताया कि कुछ फोन कॉलों से पता चला कि पीड़िता भागने की योजना बना रही थी। युवती को शाहजहांपुर में उसके घर से गिरफ्तार किया गया और कोतवाली पुलिस स्टेशन ले जाया गया। फिर उसे मेडिकल परीक्षण के लिए ले जाया गया और बाद में अदालत में पेश किया गया।
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वहीं दूसरी ओर पीड़िता के पिता ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब कल यानि 26 सितंबर को अरेस्ट स्टे पर सुनवाई होनी थी, तो आज क्यों गिरफ्तार किया गया। बिना नोटिस के एसआइटी जबरन घर से उठा के ले गयी। परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके घर पर आई और उसे घर से जबरन घसीटकर ले गई। इस दौरान पीड़िता ने चप्पलें भी नहीं पहनी हुई थीं।
बता दें, छात्रा के वकील अनूप त्रिवेदी ने पत्रकारों को बताया कि एडीजे सुधीर कुमार की अदालत ने स्वामी चिन्मयानंद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली छात्रा की अग्रिम जमानत याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली। अदालत ने इस मामले से संबंधित सभी रिकॉर्ड 26 सितंबर को तलब किए हैं। त्रिवेदी ने कहा कि यह राहत की बात है कि अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली है और सामान्यत: ऐसे मामलों में गिरफ्तारी नहीं होती है। इस बीच, छात्रा को अदालत से उसके घर छोड़ने पहुंची एसआइटी ने लड़की से उसके घर पर देर शाम तीन घंटे तक पूछताछ की।
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इससे पहले छात्रा ने कल उच्च न्यायालय में प्रार्थना की थी कि उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए। इस पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि लड़की अगर राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नई याचिका दायर कर सकती है।
अदालत ने यह भी कहा था कि पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।