जर्मनी व दक्षिण कोरिया का उदाहरण देकर RBI के पूर्व गर्वनर ने कहा, कोरोना पर लगाम के लिये विकेंद्रित तरीका अपनाने वाले देश ज्यादा सफल

जर्मनी व दक्षिण कोरिया

आरयू वेब टीम। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि जिन देशों ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये विकेंद्रित तरीके अपनाये, वे अन्य देशों की तुलना में इस मोर्चे पर बेहतर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने जर्मनी और दक्षिण कोरिया का उदाहरण दिया।

राजन ने कहा कि जर्मनी व दक्षिण कोरिया ने केंद्र के स्तर पर संसाधनों का आवंटन किया, लेकिन उसे कैसे खर्च करना है, किस प्रकार रखना है, उसका जिम्मा प्रांतों पर छोड़ दिया। राजन ने कहा कि भारत में चार घंटे के नोटिस पर देशव्यापी ‘लॉककडाउन’ लगाया गया। जिन क्षेत्रों में उस समय कोरोना वायरस के मामले नहीं थे, वे इससे आर्थिक रूप से व्यापक रूप से प्रभावित हुए।

रघुराम राजन ने कारोना नॉमिक्स से बातचीत में कहा, ”मैं केंद्र के स्तर पर निर्णय लेने में होने वाली कठिनाइयों को रेखांकित करना चाहता हूं…उदाहरण के लिये भारत का अनिवार्य रूप से पूरे देश को बंद करने का निर्णय।” राजन ने कहा, ”…आपको तुंरत पता चल गया कि जिन इलाकों में कोरोना वायरस संक्रमण के ज्यादा मामले नहीं हैं, उन पर आर्थिक रूप से ज्यादा असर पड़ा है। इसीलिए पूरे देश में बंद को देखते हुए संभवत: कुछ जगहों पर उसे जल्दी वापस लेना पड़ा।’

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दुनिया के शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञ कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभाव से निपटने के उपायों पर चर्चा करते हुए आरबीआइ के पूर्व गवर्नर ने कहा कि जब पूरे देश में ‘लॉकडाउन’ लगाया गया, मुंबई और दिल्ली संक्रमण के केंद्र थे, जबकि उस समय पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में संक्रमण के ज्यादा मामले नहीं थे।

फिलहाल ‘द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस’ के प्रोफेसर राजन ने कहा कि विकेंद्रीकरण के तहत स्थानीय स्तर पर समस्याओं के समाधान की अनुमति दी जाती है और निश्चित रूप से केंद्र सरकार इसमें मदद करती है।

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