आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सहायक शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों पर शुक्रवार को किए गए लाठीचार्ज के मामले को लेकर योगी सरकार घिरती नजर आ रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा अन्य नेताओं के इसकी निंदा करने के बाद शनिवार को राष्ट्रीय लोकदल ने भी इस मामले को लेकर योगी सरकार को निशाने पर लिया है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा है कि इस बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज की जितनी भी निंदा की जाए कम है। बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा करके सत्ता में आयी भाजपा सरकार में रोजगार मांगने पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। साथ ही प्रदेश के कोने-कोने में किसी को भी अपराधी की संज्ञा देकर पुलिस की गोली का शिकार बनाया जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इसको देखते हुए ये साबित हो चुका है कि योगी सरकार के पास लाठी-गोली के अलावा कुछ भी नहीं है। शिक्षक भर्ती की मांग कर रहे युवकों और युवतियों पर ऐसी लाठियां बरसाई गयी कि उनके सिर तक फट गये और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
वहीं 68500 सहायक शिक्षक भर्ती की जांच को लेकर दिए गए हाईकोर्ट के फैसले पर मसूद अहमद ने कहा कि भर्ती की जांच सीबीआइ द्वारा कराने का आदेश होना योगी सरकार के लिए शर्म की बात है, क्योंकि डेढ़ साल बीतने के बाद भी प्रदेश के नौनिहालों की शिक्षा व्यवस्था की अनदेखी करने वाली सरकार ने एक तरफ शिक्षामित्रों के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की तो दूसरी ओर शिक्षकों की भर्तियों के नाम पर कापियां तक बदलवाकर आश्चर्यजनक घोटाले का परिचय दिया हैं। यही कारण है कि उच्च न्यायालय ने सरकार की नियुक्तियों में मनचाही प्रवृत्ति की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया है।
सरकारी विभागों में आरएसएस और हिन्दू युवा वाहिनी…
प्रदेश अध्यक्ष इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार की मंशा चारों ओर सरकारी विभागों में आरएसएस और हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां करके अपने कार्यकर्ताओं से किये गये वादों को निभाने की है। प्रदेश के नौनिहालों को ऐसे तथ्यों की भर्तियों द्वारा केवल संघीय शिक्षा ही दी जा सकती है और नफरत के बीज बोने का कुचक्र रचा जा सकता है। राष्ट्रीय लोकदल सरकार की ऐसी भावना का सड़क से लेकर संसद तक पुरजोर विरोध करेगी।