आरयू वेब टीम।
सुप्रीम कोर्ट ने आज पंजाब के कैबिनेट मंत्री एंव पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को 30 साल पुराने रोडरेज केस में बरी कर दिया है। सिद्धू और उनके एक साथी रुपिंदर सिंह सिद्धू पर पार्किंग में एक बुजुर्ग के साथ मारपीट का आरोप था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी।
मामले में पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू व उनके दोस्त को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ नवजोत सिंह और रुपिंदर सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज चेलेमेश्वर और संजय किशन कौल की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर 18 अप्रैल को इनकी याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट के मुताबिक सिद्धू को जेल नहीं जाना होगा और उनपर सिर्फ एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरनाम सिंह की मौत के लिए सिद्धू को दोषी नहीं ठहरा सकते। यह मामला वर्ष 1988 का है और 30 साल पुराना है। सिद्धू की गुरनाम से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी और घटना में कोई हथियार इस्तेमाल नहीं हुआ। इस आधार पर हम मानते हैं कि एक हजार रुपये का जुर्माना न्याय देने के लिए ठीक होगा।
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बता दें कि निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए साल 1999 में बरी कर दिया था, लेकिन पीड़ित पक्ष निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने याचिका में कहा था कि वह निर्दोष हैं और उन्हें फंसाया जा रहा है। साथ ही कहा था कि इस मामले में कोई भी गवाह खुद से नहीं आया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सभी गवाहों के बयानों में विरोधाभास भी देखने को मिला है।
यह है पूरा मामल
साल 1998 का है। सिद्धू का पटियाला में शैरावालीं गेट के पास स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की पार्किंग में गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
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