आरयू ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर उर्दू अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन को निरस्त कर उर्दू भाषा के विकास के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने का आरोप लगाया है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने कहा कि योगी सरकार ने अल्पसंख्यकों व उर्दू भाषियों के साथ ही नहीं, बल्कि देश की सबसे मीठी भाषा उर्दू को चाहने वालों के साथ बड़ा छल किया है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उर्दू अध्यापकों की भर्ती के विज्ञापन को निरस्त कर उन्होंने साबित कर दिया कि उर्दू से उन्हें नफरत है।
इस दौरान प्रदेश प्रवक्ता ने योगी के साथ ही आरएसएस को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कटटरवादी विचारधारा से प्रेरित मुख्यमंत्री व राज्य सरकार नहीं चाहती है कि प्रदेश में उर्दू भाषा का पठन पाठन हो, जबकि प्रदेश में आम बोलचाल की भाषा में उर्दू का बहुतायत प्रयोग होता है। यही नही भाजपा का नारा है “मोदी है तो मुमकिन है” में भी ‘मुमकिन’ शब्द उर्दू का है। योगी और भाजपा को चाहिए कि वह मुमकिन के स्थान पर सम्भव शब्द का प्रयोग करे।
हमला जारी रखते हुए डॉ. मसूद ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लिए जुबानी जमा खर्च कर भाजपा अन्य दलों पर छल का आरोप लगाकर उसमें छेद करने का जुमला उछाल कर गुमराह कर रही है। उर्दू अध्यापकों की भर्ती रोकना छल में छेद है तो यह उसकी मुस्लिम ही नहीं हिन्दू विरोधी मानसिकता का भी प्रमाण है क्योंकि हिन्दू भी बडी संख्या में उर्दू बोलते पढते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से अपने आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में बच्चे उर्दू भाषा पढ़ना चाहते हैं। उर्दू भाषियों की पढ़ाई को रोकने का प्रयास सरकार को भारी पडे़गा।