आरयू ब्यूरो, लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार हुईं कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जाफर, पूर्व आइपीएस अफसर एसआर दारापुरी व पवन राव अंबेडकर व अन्य को शुक्रवार को लखनऊ की जिला अदालत ने जमानत दे दी है। ये सभी लोग 19 दिसंबर को सीएए का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए थे।
यह भी पढ़ें- जेल में सदफ जाफर से मुलाकात कर प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, पुलिस ने की रुह कंपा देने वाली बर्बरता
इससे पहले सेशन कोर्ट ने सभी लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद ये लोग जिला अदालन पहुंचे थे। इन सभी पर हजरतगंज पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 1932 की विभिन्न धाराओं के तहत जफर और अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया था।
यह भी पढ़ें- लखनऊ में CAA के खिलाफ प्रदर्शन, बवाल, फायरिंग में युवक की मौत, फूंकीं गई पुलिस चौकी व दर्जनों वाहन, तोड़फोड़, पथराव, लाठीचार्ज
गौरतलब है कि हजरतगंज पुलिस ने जफर और अन्य को आइपीसी की कई धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जफर के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया गया था। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार से याचिका पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। जफर के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताया गया था।
यह भी पढ़ें- काफिला रोकने पर प्रियंका ने जिस स्कूटी से तय की थी दूरी, अब लखनऊ पुलिस ने उसका काटा 61 सौ का चालान
वहीं जफर व एसआर दारापुरी के बचाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा था कि सदफ के दो छोटे बच्चों हैं, सदफ को गिरफ्तार करते वक्त उनका भी ध्यान नहीं रखा, इसके अलावा सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी दारापुरी को गिरफ्तार कर “अमानवीयता की सभी हदें पार कर दी हैं।” पिछले हफ्ते प्रियंका गांधी दोनों ही नेताओं के घर लखनऊ भी गई थीं।