आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। सहकारिता एक आंदोलन है, जिसके माध्यम से जीवन में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। नये भारत के निर्णय का प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प हम सहकारिता में सधन सहकारी समिति के माध्यम से साकार कर सकते है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से सहकारिता पर निर्भर है।
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ये बातें शनिवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। अपनी सरकार के बारे में बात करने के साथ ही विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए सीएम ने आगे कहा कि यूपी में 23 महीनों के शासन में हमने किसानों की दशा में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। जबकि पिछली सरकारों में किसान, नौजवान, सुशासन आमजनता की सेवा की जगह परिवार की सेवा की जाती थी। यूपी में सहकारिता को बदनाम किया गया था। 30 सहकारी बैंको की मान्यता रिजर्व बैंक ने खत्म कर दी थी। 23 महीने की भाजपा सरकार के सुशासन के आधार पर आज हम 16 बैंकों में स्थिति सामान्य पर ले आये हैं। शेष बैंकों को भी पुर्नजीवित करने का प्रयास किया जा रहा है।
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सहकारिता सम्मेलन में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, यूपी लोकसभा चुनाव प्रभारी जे.पी. नड्डा, सह प्रभारी गोवर्धन झडफिया, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, राज्यमंत्री उपेन्द्र तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर हलवासिया, सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक आरपी जी, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष गोविंद पांडेय, चेयरमैन यूपीसीएलडीएफ विरेंद्र तिवारी, मनीष साहनी समेत भाजपा के तमाम नेता व अन्य लोग भी मौजूद रहें।