आरयू ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी परिवार में मचे घमासान पर मंगलवार को सपा सुप्रीमों ने पार्टी कार्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि हमारा परिवार एक है, पार्टी एक है, पूरे कार्यकर्ता नेता एक है। एकता के मसले पर सवाल करने पर शिकायती लहजें में अनावश्यक बात क्यों करते हो कहते हुए मुलायम सिंह ने उक्त बाते कही। शिवपाल समेत चार मंत्रियों की मंत्रिमंडल में वापसी पर कहा यह बात मैं मुख्यमंत्री पर छोड़ता हूं। शिवपाल ने न पद मांगा हैं और न ही मैने इस बारे में कोई बात की है। मंत्रियों को क्यों निकाला और अब क्या करेंगे यह सवाल आप जाकर मुख्यमंत्री से पूछियें।
‘बहुमत मेरे नाम पर लेकिन शिवपाल से राय कर अखिलेश को बनाया मुख्यमंत्री’
मुलायम सिंह ने कहा बहुमत मेरे नाम पर बनी थी, लेकिन शिवपाल समेत अन्य लोगों से राय कर मुख्यमंत्री अखिलेश को बनाया। उनकी जिम्मेदारी क्या हैं और कैसे निभाएंगे यह मैं मुख्यमंत्री पर छोड़ता हूं। वर्तमान में मचे घमासान को रोकने के लिए सपा सुप्रीमों से जब खुद ही सीएम की कुर्सी पर बैठने की बात पर विचार की बात निकली तो हंस पड़े, कहा नहीं अब क्या विचार करेंगे दो महिने के लिए। अक्टूबर खत्म हो रहा, आगे चलकर आचार संहिता लग जाएगी फिर बस तनख्वाह बांटना काम रह जायेगा।
‘रामगोपाल की बात का अब नहीं देता महत्व’
प्रोफेसर रामगोपाल यादव के खोटे सिक्के के चक्कर में असली सिक्के को बाहर निकाल दिया वाले बयान पर बोले कि अब रामगोपाल की बात पर कोई महत्व नहीं देता। इस दौरान एक बार फिर अमर सिंह का बचाव करते हुए पत्रकारों से बोले कि अमर सिंह को बीच में क्यों लाते हो। कुछ लोग षडयंत्रकारी है, जिनका कोई जनाधार नहीं है, यह सब उन्हीं का फैलाया हुआ है।
बहुमत के बाद होगा सीएम का फैसला
मंगलवार को सपा सुप्रीमों ने दोहराया कि बहुमत के बाद विधानमंडल तय करेगा मुख्यमंत्री। पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि, हमारी लोकतांत्रिक पार्टी हैं साफ सुन लीजिए जब भी हमने मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया तो विधानमंडल दल की बैठक में नाम पेश किया। सभी पार्टियों में यह परम्परा हैं। इसके साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि समाजवादी पार्टी के सिद्धान्त व विचारधारा के अनुसार जन कल्याण के प्रति समर्पित होकर काम करे। प्रेसवार्ता के समय सपा सुप्रीमो के साथ शिवपाल सिंह यादव, एमएलसी आशु मलिक, गायत्री प्रसाद प्रजापति, ओमप्रकाश सिंह, शदाब फातिमा समेत अन्य दिग्गज नेता मौजूद रहे।
अखिलेश समर्थकों के हंगामे- तमाशे की वजह से घंटों रुके रहे मुलायम
प्रेसवार्ता के बाद पार्टी कार्यलय से बाहर निकल रहे सपा सुप्रीमों व शिवपाल सिंह यादव को उस समय घंटों इंतजार करना पड़ा जब पार्टी कार्यलय के गेट पर जुटे सैकड़ों अखिलेश यादव समर्थको ने हंगामा और मुख्यमंत्री के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। समर्थको की मांग थी कि अखिलेश को पार्टी कमान सौंपने के साथ ही अगामी चुनाव का सीएम प्रत्याशी भी घोषित किया जाए। उत्तेजित समर्थक पार्टी कार्यलय में जबरदस्ती घुसना चाहते थे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने किसी तरह उनको बाहर ही रोका। पार्टी कार्यलय के बाहर मीडिया में फोटो खिचवाने के लिए जहां कुछ समर्थक जमीन पर लेट गए वहीं एक-दो तो पेड़ पर चढ़ गए। सपा कार्यलय के बाहर सपाईयों के ही तमाशे को देख कई नेता किनारे खड़े होकर अफसोस जता रहे थे। उनका कहना था कि जिन युवाओं को इस समय क्षेत्र में पार्टी का प्रचार प्रसार करना चाहिए वह ही अपनी पार्टी का तमाशा बना रहे है। करीब साढे़ चार बजे उत्तेजित कार्यकताओं को गेट से हटाया जा सका। जिसके बाद अस्वस्थ चल रहे सपा सुप्रीमो समेत अन्य बाहर निकल सके।