‘संचार साथी’ को जासूसी App करार दे प्रियंका गांधी ने कहा, ‘नागरिकों के फोन की निगरानी गलत’

संचार साथी
मीडिया से बात करतीं प्रियंका गांधी।

आरयू वेब टीम। संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है। इस बीच दूरसंचार विभाग द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में ‘संचार साथी’ ऐप को अनिवार्य तौर पर प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद जारी है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इसे एक ‘जासूसी ऐप’ करार दिया।

संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस महासचिव एवं सांसद प्रियंका गांधी ने ‘संचार साथी’ ऐप को जासूसी ऐप करार दिया। साथ ही इस ऐप के माध्यम से सरकार पर नागरिकों की निजता का हनन करने का आरोप लगाया। प्रियंका गांधी ने कहा, “यह एक जासूसी ऐप है। मैं यही कहना चाहती हूं कि अब वे और क्या जानना चाहते हैं? नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। सभी को प्राइवेसी का अधिकार है कि हम बिना सरकार की निगरानी के अपने मैसेज को परिवार और दोस्तों को भेजें। ये सामान्य बात है। सरकार हर तरह से देश को तानाशाही में बदलने की कोशिश कर रही है।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत का हर नागरिक अपने फोन पर क्या कर रहा है? इस तरह से काम नहीं करना चाहिए। फ्रॉड की रिपोर्ट करने के लिए एक असरदार सिस्टम होना चाहिए। हमने साइबर सिक्योरिटी पर इस पर बहुत लंबी चर्चा की है। साइबर सिक्योरिटी की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपको हर नागरिक के टेलीफोन में जाने का बहाना दे। मुझे नहीं लगता कि कोई भी नागरिक खुश होगा।”

वहीं संसद सत्र नहीं चलने पर प्रियंका ने कहा, “संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी चीज पर बात करने से मना कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। सरकार किसी भी चीज पर चर्चा नहीं होने दे रही है। एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है।”

बता दें कि भारत सरकार द्वारा 29 नवंबर को एक महत्वपूर्ण नियम लागू किया गया है। इसके अनुसार व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि जैसे सभी मैसेजिंग ऐप्स अब हमेशा यूजर के डिवाइस में सक्रिय सिम कार्ड से लगातार लिंक रहेंगे। निर्देश के मुताबिक, सभी प्लेटफॉर्म्स को 90 दिनों में इन नियमों का अनुपालन करना होगा और 120 दिनों में विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी।

दरअसल सरकार इसे साइबर सुरक्षा का मास्टर स्ट्रॉक बता रही है, लेकिन सच यह है कि यह गोपनीयता पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। अगले 90 दिनों के भीतर आपके स्मार्ट फोन में संचार साथी ऐप इंस्टॉल रहेगा। नया मोबाइल खरीदेंगे, तो उसमें इनबिल्ट मिलेगा और अगर पुराना है, तो अपडेट के माध्यम से इंस्टॉल करा दिया जायेगा। इस ऐप को हटाया भी नहीं जा सकता। यानी 90 दिन बाद देश का हर वो सख्श जो स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करता है, वह 24 घंटे, 365 दिन सरकार की निगरानी में आ जायेगा।

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अचानक यह ऐप हर फोन में क्यों घुसाया जा रहा है? तो इसका जवाब साफ है। कंट्रोल करने की तैयारी, देश के लोगों को निगरानी में रखने का उद्देश्य। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह संचार साथी ऐप फोन की हर गतिविधि और संरचना तक पहुंच रखता है। आइएमईआइ नंबर, कॉल लॉग (किससे कितनी देर बात किया), लोकेशन (कहां-कहां गए, कितनी देर रूके), डिवाइस आईडेंटिफायर (कौन से डिवाईस का इस्तेमाल कर रहे) लगभग हर जानकारी जुटा सकता है। मोबाइल इस्तेमाल ना भी कर रहे हों, तो यह ऐप बैकग्राउंड में चलता रहेगा।

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