आरयू वेब टीम। मोदी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ‘सेंट्रल विस्टा’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक कोई फैसला नहीं सुनाया जाता है तब तक ‘सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट’ के तहत होने वाले संसद भवन का निर्माण नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि प्रोजेक्ट के तहत कोई कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक कि पेंडिंग अर्जियों पर आखिरी फैसला न सुना दिया जाए।
हालांकि, देश की सबसे बड़ी अदालत ने नए संसद भवन परियोजना के उद्घाटन पर रोक नहीं लगाई। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आपने प्रेस रिलीज जारी कर निर्माण की तारीख तय की है। इसके शिलान्यास को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन निर्माण कार्य नहीं होगा।
इससे पहले जानकारी देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखेंगे। बिरला ने ये भी जानकारी दी थी कि संसद का नया भवन 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में होगा और इसके निर्माण पर कुल 971 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस ए. एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली बेंच से कहा कि केवल आधारशिला रखने का कार्यक्रम किया जाएगा, वहां कोई निर्माण कार्य या इमारतों को गिराने जैसा कोई काम नहीं होगा। इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितंबर में हुई थी, जिसमें नए त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी।
इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है। साझा केन्द्रीय सचिवालय के बनने का अनुमान 2024 तक है। याचिकाएं भूमि उपयोग बदलाव की मंजूरी सहित दी गई अन्य विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की गई हैं। ये सभी अभी मामले शीर्ष अदालत में विचाराधीन है।
सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान
- केंद्र ने राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच नई इमारतें बनाने के लिए सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान तैयार किया है।
- प्रोजेक्ट के मुताबिक पुराने संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नए तिकोना संसद भवन का निर्माण किया जाएगा।
- इसमें लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। यह इमारत 13 एकड़ जमीन पर तैयार किया जाएगा।
- सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के लिए 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसे ही रखा जाएगा।