आरयू ब्यूरो, लखनऊ। केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्ष को एकजुट कर रहे हैं। इसी क्रम में केजरीवाल ने बुधवार लखनऊ में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। अखिलेश यादव ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल सरकार का समर्थन करने की बात कही। साथ ही अखिलेश यादव ने कहा, “दिल्ली का अध्यादेश अलोकतांत्रिक है। इसके खिलाफ अरविंद केजरीवाल को समाजवादी पार्टी का पूरा समर्थन है। साथ ही कहा कि भाजपा अच्छे काम को बिगाड़ने का काम कर रही है।” सपा सुप्रीमो ने कहा कि “शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में अरविंद केजरीवाल की सरकार बेहतर काम कर रही है। भाजपा आप सरकार से डर गई है।”
दिल्ली के लोगों ने वोट देकर हमको चुना: केजरीवाल
इस दौरान संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने अखिलेश यादव का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा किया। दिल्ली सीएम ने कहा कि “अखिलेश यादव से काफी लंबी बातचीत हुई। दिल्ली के लोगों ने वोट देकर हमको चुना है। तीन महीने बाद ही हमारी शक्तियां छीन ली गई थी। मोदी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीन ली थी। आठ साल की लड़ाई के बाद हमारी शक्तियां वापस मिली थी। दिल्ली के लोगों को अपना अधिकार पाने के लिए आठ साल लग गए थे, लेकिन आठ दिन बाद ही मोदी सरकार ने अध्यदेश जारी कर नोटिफिकेशन रद्द कर दिया।
राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं
संसद के अंदर जब अध्यादेश आएगा, तो लोकसभा में जरूर पास हो जाएगा, लेकिन राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है। दिल्ली के दो करोड़ लोगों की तरफ से अखिलेश यादव का शुक्रिया। उन्होंने हमारा साथ देने का भरोसा दिया है।” इस दौरान केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी, आप सांसद संजय सिंह और सपा नेता शिवपाल सिंह यादव भी मौजूद रहे।
नौ पार्टियों का मिल चुका समर्थन
गौरतलब है कि दिल्ली के ट्रांसफर-पोस्टिंग केस में केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को अब तक नौ पार्टियों का समर्थन मिल चुका है। इससे पहले अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तमिलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे सहित कई नेताओं से मिल चुके हैं। इस दौरान सभी ने एक बात दोहराई है कि वो राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ वोट करेंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा। पांच जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा, ‘पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे।’
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वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सात दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया। अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी एलजी का होगा। इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा। संसद में अब छह महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा।