आरयू वेब टीम। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मतभेद के बीच मंगलवार को चुनावी रणनीतिकार ने पटना में एक प्रेसवार्ता की। प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार से मेरा वैचारिक मतभेद है, लेकिन उनके फैसले पर सवाल नहीं उठाऊंगा। पीके ने कहा कि नीतीश गोडसे की विचारधारा के साथ हैं और गठबंधन में नीतीश के स्थान पर मतभेद है। गांधी और गोडसे की विचारधारा साथ नहीं चल सकती।
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इस दौरान पीके ने नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा कि ने कहा कि हम सशक्त नेता चाहते हैं, पिछलग्गू नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएए, एनआरसी व एनपीआर बिहार में लागू नहीं होगा। नीतीश कुमार ने यह बात कह भी दी है, लेकिन अगर ये कानून लागू हुए तो राजनीति कार्यकर्ता के रूप में हम उसका विरोध करेंगे।
बिहार में जीतते रहने के लिए भाजपा का साथ जरूरी नहीं
वहीं बिहार की राजनीत पर बात करते हुए पीके ने कहा कि नीतीश कुमार या कोई भी नेता अगर बिहार के लिए खड़ा होगा तो बिहार की जनता उसके साथ खड़ी होगी। उसके लिए किसी गठबंधन की जरूरत नहीं है। नीतीश जी या जो लोग ऐसा मानते हैं कि बिहार में जीतते रहने के लिए भाजपा के साथ बने रहना जरूरी है। मैं उससे सहमत नहीं हूं।
…लेकिन 15 साल में अच्छी शिक्षा नहीं दे पाएं
बिहार की बदहाली के लिए सरकारों को जिम्मेदार मानते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि साल 2005 में बिहार की जो स्थिति थी, आज भी दूसरे राज्यों के मुकाबले बिहार की स्थिति वही है। नीतीश जी ने शिक्षा में काम किया- साइकिल बांटी, पोशाक बांटी और बच्चों को स्कूल पहुंचाया, लेकिन आप 15 साल में एक अच्छी शिक्षा नहीं दे पाएं।
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20 फरवरी से ‘बात बिहार की’…
साथ ही उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि मैं 20 फरवरी से ‘बात बिहार की’ नामक कार्यक्रम शुरू कर रहा हूं जो बिहार को देश में दस सर्वश्रेष्ठ राज्यों में से एक बनाने की दिशा में काम करेगा। इस बीच पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी का ऐलान या फिर गठबंधन को समर्थन देने की अटकलों को सिरे से खारिज भी कर दिया।
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नीतीश कुमार ने मुझे अपने बेटे के जैसे रखा
वहीं खुद को पार्टी से निष्कासन पर प्रशांत किशोर मीडिया से बोले कि नीतीश कुमार ने मुझे अपने बेटे के जैसे रखा है। कई मामलों में मैं भी उनको अपने पिता तुल्य ही मानता हूं। उनका मुझे पार्टी में शामिल करने का, पार्टी से निकालने का जो भी फैसला है, उसको मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।