सत्‍ताधारी संसद में करें प्रदर्शन तो समझे वह नहीं रहे सरकार चलाने लायक: बृजलाल खाबरी

बृजलाल खाबरी
बृजलाल खाबरी। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। संसद के मानसूत्र में मणिपुर हैवानियत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चर्चा पर बुलाने की मांग लेकर सोमवार को विपक्षी दलों ने हंगामा किया। वहीं भाजपा के सांसद ने भी आज एक नया काम करते हुए संसद परिसर में प्रदर्शन किया। भाजपा के इस प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस यूपी अध्‍यक्ष बृजलाल खाबरी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सत्‍ता पक्ष का संसद में प्रदर्शन करने की घटना आजाद भारत के इतिहास में पहली बार हुई है। साथ ही कहा कि सत्‍ता पक्ष के सांसद अगर खुद ही प्रदर्शन करने लगें तो समझ लें कि वह सरकार चलाने के काबिल ही नहीं रहे हैं।

मणिपुर हिंसा में राज्य की भाजपा सरकार ही शामिल

आज अपने एक बयान में खाबरी ने कहा कि मणिपुर में भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने एक बड़ा बयान देते हुए खुलासा किया था कि ‘‘मणिपुर हिंसा में राज्य की भाजपा सरकार ही शामिल है। सरकार की मिलीभगत के चलते राज्‍य में हिंसा नहीं रूक रही।

जाति-धर्म नहीं आना चाहिए आड़े 

कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष ने मीडिया के सामने दावा किया कि है सत्‍ता पक्ष के विधायक का अपनी ही बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा करना साबित करता है कि सरकार ने कहीं न कहीं यह हिंसा प्रायोजित की है, क्योंकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए तो कुछ भी कर सकती। बृजलाल ने आगे कहा कि जनता द्वारा चुनी सरकार, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का एक राजधर्म होता है जिसका पालन करते हुए सत्‍ता चलाई जाती है, किसी भी सरकार के लिए जनता के साथ जन्म, जाति और संप्रदाय के आधार पर भेद नहीं किया जा सकता। यह कृत्य अलोकतांत्रिक और संविधान विरोधी है। भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री किसी दल का नहीं, बल्कि देश और प्रदेश का होता है, किसी नागरिक को होने वाली पीड़ा से संवेदित होने के लिए जाति, धर्म आड़े नहीं आना चाहिए।

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प्रदेश अध्‍यक्ष ने हमला जारी रखते हुए हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को उनकी कुर्सी उनके कर्तव्य के बारे में तब भी नहीं बताया गया जब महिलाओं की नग्न परेड के वीडियो दुनिया के हर संवेदनशील इंसान को शर्मसार कर रहे थे। जब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साख प्रभावित होने लगी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े तेवर दिखाए तो 79 दिनों से लगातार जारी प्रधानमंत्री की चुप्पी टूटी और मात्र 36 सेकेंड का अफसोस जाहिर किया।

उपद्रवियों तक कैसे पहुंचे हथियार व गोला-बारूद

सवाल उठाते हुए खाबरी ने कहा कि मणिपुर में गृह युद्ध जैसे हालात हैं, तमाम हथियार व गोला-बारूद उपद्रवियों तक किस प्रकार पहुंच गये सरकार वापस पाने के लिए सख्ती क्यों नहीं कर रही है? निश्चित रूप से इस घटना के बारे में मोदी सरकार व मणिपुर सरकार को जानकारी अवश्य रही होगी फिर भी शर्मनाक घटना के 15 दिनों बाद प्रशासन को शिकायत मिलती है और प्राथमिकी 49 दिनों बाद दर्ज की जाती है। इससे बड़ा दुर्भाग्य देश के लिए भला और क्या हो सकता है कि पीड़िताओं में कारगिल की जंग लड़ चुके सैनिक की पत्नी भी शामिल है? बावजूद इसके मोदी सरकार सरकार मणिपुर की घटना की तुलना अन्य राज्यों से करने की ओछी धारणा बनाने का प्रयास कर रही है।

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