आरयू ब्यूरो, लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती मामले में
लम्बे समय से अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे। वहीं लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों को अब आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद का साथ मिला है। चंद्रशेखर आजाद ने ईको गार्डेन पहुंचकर अभ्यर्थियों का समर्थन किया।
आरक्षण मामले पर प्रदर्शन कर रहे है अभ्यर्थियों से मिलने धरनास्थल पहुंचे चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा मैंने पहले भी कहा था जब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले आंदोलन चल रहा था। इन्होंने बहुत मेहनत की सब लोगों को मजबूर किया कि वो यहां आएं इनकी बात रखें। तब सरकार ने इनकी बात को मान भी लिया था। 6800 नियुक्तियां रिलीज भी कर दी थी। जिसकी लिस्ट भी जारी कर दी थी। अब कोर्ट का जजमेंट भी मैंने पढ़ा। जजमेंट भी ये कह रहा है।
मीडिया से बातचीत में चंद्रशेखर ने कहा कि ऑनरेबल कोर्ट ने भी ये कहा कि आप पुराने लोग जो संशोधित लिस्ट है उसको भी रख लो जिसमें मिस्टेक हैं और उसको भी रख जिन लोग वर्किंग कर रहे हैं उनको भी रखो, लेकिन उनको भी रखो जिनकी नियुक्ती आपने जारी की है। अब इन सबकी करने की ताकत न तो मेरे हाथ में है न तो इनके हाथ में है। वो सब ताकत सरकार के हाथ में हैं। जब सरकार ही न करना चाहे। सरकार ही चोरी करने और डकैती करने पर उतारू हो जाए तो फिर कहां से न्याय होगा।
ये तो मुख्यमंत्री के बाएं हाथ का काम है। एक कलम चलानी है उनको और ये काम हो जाएगा, लेकिन 500 से ज्यादा दिन हो गए इन बच्चों को बिलखते हुए तड़पते हुए। घर छोड़कर यहां पड़े हुए हैं। 530 दिन हो गए हैं। आप समझिए ये वही लोग हैं जो सरकार बनाते हैं। ये वही लोग हैं जिनके घरों पर आप वोट मांगने जाते हैं। जिनके पैर छूने हैं, जिनको रिश्तेदार बताते हैं, पैर दबाते हैं, खाना खाते हैं। मगर 530 दिन तक राजधानी में बच्चे लड़ रहे हैं और सरकार गूंगी बहरी बनी बैठी है।
ये स्पष्ट है कि सरकार देना नहीं चाहती। जिन्हों ने मेहनत की जिनके हाथ से उनका नियुक्ती पत्र छीन लिया गया। वो कैसा महसूस कर रहे होंगे। जब भी ये जाते हैं भाजपा के दफ्तर के पास या भाजपा के मंत्री से मिलने के लिए सरकार उनकी है तो लाठियों से पीटते हैं। अभी मैंने देखा एक बहन प्रेगनेंट थी उसको जानवरों की तरह उठाके लेकर आए जनता देख रही है। लोकतंत्र में इसकी कोई जगह नहीं है। सरकार ने चोरी की है सरकार को इसपर खेद प्रकट करना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है भाजपा का जमीर मर गया है।
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मुझे भाजपा के मुख्यमंत्री से कोई तकलीफ नहीं है। उसका कारण ये है कि वो तो करेंगे, लेकिन वहां जो दलित पिछड़वर्ग के नेता है मुझे तकलीफ उनसे है। वो राजनीतिक कर किसके लिए रहे है। उनके स्वार्थ की राजनीतिक के चक्कर में ये गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है। अधिकारियों के चलते इन्हें न्याय नहीं मिल रहा
अब बैठकर कुछ बड़ा करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सोमवार को अभ्यर्थियों ने लखनऊ सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के आवास का घेराव किया और नियुक्ति की मांग को लेकर नारेबाजी की।