आरयू ब्यूरो, लखनऊ। आर्थिक तंगी व अन्य समस्याओं से परेशान शिक्षामित्र पिछले कई सालों से नियमितीकरण, मानदेय बढ़ाने की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को प्रदेश के सभी जनपदों से एक लाख से अधिक शिक्षामित्र व उनके परिजन लखनऊ स्थित रमाबाई अंबेडकर पार्क पहुंचें। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। पार्क में शिक्षामित्रों ने एक महासम्मेलन का आयोजन किया था। जिसमें शिक्षामित्रों ने एक बार फिर समान कार्य समान वेतन, नियमित करने समेत अन्य मांग जोर-शोर से उठाई। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर और योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद भी पहुंचें, जिन्होंने मंच से ही शिक्षामित्रों की मांग सरकार तक पहुंचाने का उन्हें आश्वासन दिया।
शिक्षामित्र राधेश्याम ने बताया कि हम यहां मांग करने नहीं आए हैं, बल्कि हम सभी शिक्षामित्र और सरकार के बीच पड़ी खाहीं को दूर करने आए। सरकार को हम लोगों पर ध्यान देना चाहिए। जिससे की हमें भी भर पेट भोजन मिल सके। इस महासम्मेलन के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर ने आमंत्रित किया था। इसलिए हम लोग परिवार के साथ यहां आए। उन्होंने आश्वासन दिया की जो दर्द तुम्हारा है वो मेरा भी है, इसलिए हम आपकी बात प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। इसके साथ ही आपके संगठन के साथ तारीख निर्धारित करूंगा।
सम्मेलन स्थल पर लगाया गया जैमर
इस दौरान एक लाख से अधिक की संख्या में शिक्षामित्र व उनके परिजन व परिचितों ने महासम्मेलन में भाग लिया। सभी ने एक स्वर में सरकार से मानदेय बढ़ाने की मांग की। इस दौरान शासन द्वारा सम्मेलन स्थल पर जैमर लगा सभी संचार माध्यम को ब्रेक कर दिया गया। महासम्मेलन का आयोजन आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ समेत विभिन्न संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था।
शिक्षामित्र भाजपा के मानस पुत्र
वहीं शिक्षामित्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने कहा कि हमने शिक्षामित्रों की समस्याओं को केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर के सामने रखा है। शिक्षामित्र योजना भाजपा सरकार की ही मानसिक उपज हैं। इस योजना को भाजपा सरकार ने ही लागू किया था। इस नाते शिक्षामित्र भाजपा के मानस पुत्र है। शिक्षामित्रों को भाजपा से ही ज्यादा उम्मीद है।
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गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सरकार ने शिक्षामित्रों की सेवा अवधि 60 साल तय की थी। इसी के साथ शिक्षामित्रों की मांग है कि उनसे जब शिक्षकों के बराबर काम लिया जा रहा है। तो शिक्षकों की तरह ही उनको नियमित क्यों नहीं किया जा रहा है, इसलिए सरकार से नियमित करने की भी मांग की जा रही है। अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। शिक्षामित्रों ने सेवा अवधि को बढ़ाकर 62 साल करने की भी मांग की।