आरयू वेब टीम। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में झटका खाने के बाद भी कांग्रेस के सांसदों ने एक बार फिर सोनिया गांधी पर भरोसा जताया है। संसद के सेंट्रल हॉल में शनिवार को आयोजित हुई बैठक में सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। बैठक में सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी 52 सांसद मौजूद रहें।
वहीं दोबारा कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने वाले लोगों का धन्यवाद किया। सोनिया ने कहा कि हम उन 12.13 करोड़ मतदाताओं का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भरोसा किया। बैठक में सोनिया ने राहुल गांधी की तारीफ की और उन्हें दूरदर्शी नेता बताया। सोनिया गांधी ने राहुल के आक्रामक तेवर की तारीफ भी की।
इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें आक्रामक बने रहना है। हम 52 सांसद निर्वाचित होकर आए हैं और हम सभी 52 सांसद देश के लिए भाजपा से इंच-इंच की लड़ाई लड़ेंगे। राहुल ने सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुने जाने पर बधाई देते हुए कहा कि, उनके नेतृत्व में कांग्रेस एक मजबूत और प्रभावी विपक्षी पार्टी साबित होगी, जो भारत के संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करेगी।
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बैठक में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। साथ ही सीपीपी की बैठक में संसद के आगामी सत्र के लिए रणनीति भी तय की गई। बीते 25 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद यह पहली आधिकारिक बैठक थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शिरकत किया।
इससे पहले पार्टी में बड़ा तबका कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संसदीय दल के नेता की जिम्मेदारी लेने की मांग कर रहा था। ऐसी चर्चा थी कि अगर वह संसदीय दल के नेता नहीं बनते हैं, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर या मनीष तिवारी को नेता चुना जा सकता है। हालांकि आज सोनिया गांधी के चुने जाने के बाद सभी अटकलों पर विराम लग गया है।
पार्टी के पास कम से कम 55 सांसद होने जरूरी
कांग्रेस के लिए मुश्किल यह है कि लोकसभा में उसके सिर्फ 52 सांसद हैं। विपक्ष का दर्जा पाने के लिए एक पार्टी के पास कम से कम 55 सांसद होने जरूरी हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के सिर्फ 44 संसद पहुंचे थे। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बीजेपी के हाथों करारी मात मिली है। इस चुनाव में भाजपा को अपने दम पर 303 सीटें मिलीं, जो उसके इतिहास में सबसे ज्यादा है। जबकि यूपीए को 96 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को विपक्ष में बैठने के लिए अब भी तीन सीटों की आवश्यकता है। जानकारी के मुताबिक विपक्ष के सबसे बड़े नेता के पद के लिए आपके पास लोकसभा में 10 प्रतिशत सीटें यानी कम से कम 55 सीटें होना जरूरी हैं।