सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, सांसदों-विधायकों के आपराधिक ब्योरे की जगह थमाया कागज का टुकड़ा

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। 

सासंदों और विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दिया है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नाराजगी जताई है। सुनवाई के दौरान सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि हमने आपसे क्या मांगा था? आप नवंबर के आदेश पढ़िए। एक नवंबर 2017 से अभी तक वो जानकारी नहीं आई जो हमनें मांगी थी और जो हमें दिया वो कागज का एक टुकड़ा है।

उच्‍चतम न्‍यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि आखिर 10 हाई कोर्ट ने जवाब क्यों दिया? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा 12 मार्च का हलफनामा क्या कहता है? लगता है केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार नही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आगामी पांच सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख दी है।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि कितने एमपी-एमएलए के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और उन मामलों की स्थिति क्या है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का क्या हुआ, लेकिन केंद्र सरकार ने कोर्ट में केवल कितने फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हुआ है यह बताया।

केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि 11 राज्यों में 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हो चुका है, जिनमें दिल्ली में दो, आंध्रा, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,  वेस्ट बंगाल और मध्य प्रदेश में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर दिया गया है, जो केवल एमपी, एमएलए के खिलाफ आपराधिक मामलो की सुनवाई करेंगा। साथ ही कर्नाटक, इलाहाबाद,  मध्य प्रदेश, पटना और दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें और कोर्ट की जरूरत नहीं है, जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें एक और कोर्ट की जरूरत है।

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