SC ने UP के दो सीनियर अफसरों को बताया अहंकारी, कहा मिलनी चाहिए गंभीर सजा, जानें क्‍या है मामला

सुप्रीम कोर्ट

आरयू ब्यूरो,लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दो सीनियर अफसरों को अहंकारी बताते हुए उनके जमानती वारंट को रद्द करने से इंकार कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का रवैया आपके लिए नरम रहा। आपको इससे ज्यादा गंभीर सजा मिलनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी हो सकती है।

मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इसी लायक हैं। आपके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी थी। हाई कोर्ट ने आपके प्रति उदारता दिखाई। आप अपने आचरण को देखिए, आपके अंदर कोर्ट के प्रति आदर का भाव नहीं है। एक कर्मचारी का उसके बढ़े वेतन का भुगतान नहीं किया, उसकी सर्विस को नियमित नहीं की गई। आपने हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद एक कर्मचारी को उसके बकाया धन से वंचित किया है।

इस दौरान चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की भी उपस्थिति रही। यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सफाई देने का जैसे ही प्रयास किया, पीठ ने तुरंत पलटवार कर दिया। कहा कि आप यह सब सफाई हाई कोर्ट में कहना, जहां अधिकारी गिरफ्तार करके पेश किए जाएंगे।

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मालूम हो कि एक नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वसूली अमीन भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी की सर्विस नियमित करने और बढ़ी हुई सैलरी के भुगतान पर सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव (राजस्व) और वित्त सचिव के खिलाफ सख्त टिप्पणी की। कहा था कि ये अधिकारी अदालत को प्ले ग्राउंड बना रहे हैं और वसूली अमीन को बढ़े वेतन का भुगतान करने से मना कर दिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के भुगतान संबंधी पहले आदेश के समय संजय कुमार प्रयागराज के जिलाधिकारी थे, जो अब वित्त सचिव हैं। इसलिए कोर्ट ने प्रदेश के अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार और वित्त सचिव संजय कुमार के खिलाफ वारंट जारी किए हैं। अब दोनों अधिकारियों को 15 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। गिरफ्तारी के खतरे को देखते यूपी सरकार ने अपने अधिकारियों की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

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