आरयू वेब टीम। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को परिसीमन की कवायद को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन को चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ताओं हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने अपनी दलील में तर्क दिया कि परिसीमन आयोग के जुलाई 2004 में जारी एक पत्र के अनुसार, पहली जनगणना 2026 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदा विधानसभा सीटों की संख्या में बदलाव नहीं किया जा सकता है।
इससे पहले 13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा। जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच के सामने याचिकाकर्ता पक्ष ने दलील दी कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से सही नहीं है।
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याचिकाओं में कहा गया कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है। उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है। सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं। यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के अनुसार नहीं है। केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद परिसीमन आयोग ने रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे सरकार को सौंपा गया था। रिपोर्ट में सात विधानसभा सीटों का इजाफा किया गया था। जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें कर दी गई थीं।