सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, महबूबा मुफ्ती को किस आदेश के आधार पर कब तक नजरबंद रखना चाहती है केंद्र सरकार?

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आरयू वेब टीम। लंबे समय से नजरबंद चल रहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि कब तक और किस आदेश के तहत केंद्र महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखना चाहती है।

कोर्ट ने मेहता को मामले में एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। कोर्ट के सवाल पर तुषार मेहता ने कुछ समय मांगा और कहा कि हम एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों कोर्ट को अवगत कराएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 15 अक्टूबर दिन गुरुवार तय की है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इल्तिजा मुफ्ती और उनके भाई को मां महबूबा मुफ्ती से हिरासत में मिलने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी को हमेशा हिरासत में नहीं रखा जा सकता और कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए।

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी इल्तिजा ने अपनी मां की लोक सुरक्षा कानून के तहत नजरबंदी (हिरासत) को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी। मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने कोर्ट से आग्रह किया था कि उनकी मां को राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने की इजाजत दी जाए। उन्हें पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलने और बातचीत करने दिया जाए। इल्तिजा मुफ्ती ने अपने आवेदन में न्यायालय से कहा कि वह अपनी याचिका में संशोधन करना चाहती हैं और इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका बनाना चाहती है। आवेदन में इस नजरबंदी को चुनौती देने के आधारों में संशोधन करके 26 फरवरी के आदेश की पुष्टि करने और इसके बाद पांच मई तथा 31 जुलाई को नजरबंदी की अवधि बढ़ाने के आदेशों को चुनौती देना चाहती हैं।

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इल्तिजा ने अपनी याचिका में कई आधारों पर महबूबा की नजरबंदी को चुनौती दे रखी है। इसमें कहा गया है कि नजरबंदी के लिये डोजियर तैयार करते समय पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया गया और यह लोक सुरक्षा कानून की धारा 8(3)(बी) का उल्लंघन करता है। इल्तिजा ने अपने आवेदन में याचिका में संशोधन की अनुमति मांगते हुए इसे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका मानने तथा केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार को महबूबा को न्यायालय में पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। आवेदन में कहा गया कि वह न्यायालय के संज्ञान में यह तथ्य भी लाना चाहती है कि उसके पहले के आदेश के तहत जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है, जिससे न्यायालय के प्रति उसके सम्मान का पता चलता है।

बता दें कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूता मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद-370 के अनेक प्रावधान समाप्त करने और इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभक्त करने के पिछले साल पांच अगस्त के सरकार के फैसले से पहले गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद फरवरी 2020 को उन्हें पीएसए के तहत बंदी बनाया गया।

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