आरयू वेब टीम। वेब सीरीज तांडव में आपत्तिजनक दृश्यों को दिखाए जाने को लेकर घिरे एक्टर, निर्माताओं और अमेजन प्राइम इंडिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई कर एक्टर मोहम्मद जीशान अयूब, अमेजन प्राइम वीडियो (इंडिया) और तांडव के निर्माताओं को उनके खिलाफ दर्ज कई एफआइआर में गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत या एफआइआर रद्द कराने के लिए वे हाई कोर्ट में गुहार लगाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी अनंत नहीं है।
वहीं जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई में तीन जजों की बेंच ने तांडव वेब सीरीज के एक्टर और निर्माताओं की ओर से उनके खिलाफ छह राज्यों में दर्ज एफआइआर को क्लब करने की मांग पर नोटिस जारी किया है। हालांकि, जस्टिस आरएस रेड्डी और एमआर शाह ने अंतरिम जमानत देने की अपील ठुकरा दी।
वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से फली नरीमन और मुकुल रोहतगी पेश हुए, उन्होंने दलील दी कि जिन सीन पर आपत्ति थी, वो सीन हटा लिए गए हैं और माफी मांग ली गई है। इसके बावजूद छह राज्यो में सात एफआइआर दर्ज हुई है और अन्य राज्यो में भी नई एफआइआर दर्ज हो रही है। साथ ही ये भी दलील दी गई कि पक्षकार बॉम्बे रहते है, कैसे वो अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट का रुख करें। वहीं उदाहरण देते हुए कहा कि अर्णब गोस्वामी मामले मे कोर्ट ने खुद ये व्यवस्था दी थी कि अभिव्यक्ति की आजादी के हनन के मामले में सीधे राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें- मुंबई में लखनऊ पुलिस ने तांडव वेब सीरीज के निदेशक के घर चस्पा किया नोटिस
मालूम हो कि अमेजन प्राइम वीडियो पर 15 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव को रिलीज के बाद से ही विवाद झेलने पड़ रहे हैं। वेब सीरीज पर धार्मिक भावना आहत करने का आरोप लगा है। सीरीज के निर्माता हिमांशु मेहरा, अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब और अमेजन प्राइम वीडियो इंडिया की हेड अपर्णा पुरोहित ने उनके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआइआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।