यौन उत्पीड़न के आरोपों से CJI रंजन गोगोई का इनकार, इसे बताया न्यायपालिका को अस्थिर करने की बड़ी साजिश

न्यायपालिका
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (फाइल फोटो।)

आरयू वेब टीम। 

सर्वोच्‍च न्‍यायालय के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शनिवार को अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार कर दिया है। ऑनलाइन मीडिया में एक महिला द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न के संबंध में लगाए गए आरोपों से जुड़ी खबरों के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष सुनवाई में जस्टिस गोगोई ने तमाम आरोपों को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और न्यायपालिक को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।’

चीफ जस्टिस गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया है और मीडिया को न्यायपालिक की स्वतंत्रता के लिए संयम दिखाने को कहा है। सीजेआइ का कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद और अविश्‍वसनीय हैं।

वहीं उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सीजेआइ का कहना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है और न्यायपालिका को अस्थिर करने के लिए एक ‘बड़ी साजिश’ है। साथ ही सीजेआइ का यह भी कहना है कि यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कोई बड़ी ताकत है, जो सीजेआइ के ऑफिस को डिएक्टिवेट करना चाहते हैं।

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इस दौरान सीजेआइ ने कहा कि मुझे कोई पैसे के आधार पर नहीं खरीद सकता, लोगों को कुछ चाहिए था तो उन्होंने इसे आधारा बनाया। उन्होंने कहा, हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता से चिंतित हैं, क्योंकि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्‍वास है। सीजेआइ गोगोई ने कहा कि न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।

वहीं रंजन गोगोई ने अपनी सर्विस का जिक्र करते हुए कहा कि यह 20 साल की सेवा के बाद सीजेआइ को मिलने वाला इनाम है। उन्होंने कहा कि जज के रूप में 20 साल की निस्वार्थ सेवा के बाद, मेरे पास 6.80 लाख रुपये का बैंक बैलेंस है। कोई भी चाहे तो इसे चेक कर सकता है।

साथ ही उन्‍होंने कहा कि मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना किसी डर के अपने न्यायिक कार्यों का निर्वहन करूंगा। वहीं, इस मामले पर जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि इस तरह के भद्दे आरोपों से न्यायपालिका पर से लोगों का विश्‍वास डगमगा जाएगा।

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अचानक ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ को लेकर स्पेशल बेंच गठित कर दी। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सहित जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में जारी किए गए नोटिस के मुताबिक स्पेशल बेंच का गठन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस उल्लेख के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी के सामने कहा था कि गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप हैं।

ये है पूरा मामला-

यहां बताते चलें कि मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का एक हलफनामा सामने आया है। 22 पन्नों के इस हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में ‘फायदा’ उठाने की कोशिश की।

साथ ही महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग की ठुकरा दिया और ऑफिस से बाहर आ गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे उसकी नौकरी से बाहर कर दिया गया। महिला ने सीनियर रिटायर्ड जजों की समिति बनाकर उसके आरोपों पर जांच कराने की मांग की है।

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