चुनावी बॉन्‍ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राष्ट्रपति दफ्तर पहुंचा लेटर, पार्टियों को अरबों का चंदा देने वाले कॉरपोरेट्स के नामों का खुलासा नहीं करने की उठी मांग

प्रेसिडेंसिशियल रेफरेंस

आरयू वेब टीम। देश की सबसे बड़ी अदालत के इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुनाए गए बेहद अहम फैसले जिसमें चुनावी बॉन्ड को अवैध करार देने और चंदा देने वालों का डेटा सार्वजनिक करने का आदेश था। इस पर ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील आदिश सी अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक लेटर लिखा है। जिसमें इसे प्रभावी न करने की अपील की है।

ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश सी अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे चुनावी बॉन्‍ड योजना मामले में फैसले का राष्ट्रपति संदर्भ लें और इसे प्रभावी न करें। अग्रवाल ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों को अरबों का चंदा (योगदान) देने वाले कॉरपोरेट्स के नामों का खुलासा करने से गंभीर असर पड़ सकता है। इसमें प्रेसिडेंसिशियल रेफरेंस का जिक्र कर रोक की मांग की गई है।

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने एससीबीए प्रमुख आदीश सी अग्रवाल द्वारा लिखे गए पत्र से खुद को अलग कर लिया, जिसमें चुनावी बांड योजना मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के राष्ट्रपति के संदर्भ की मांग की गई थी। बार एसोसिएशन ने भी पत्र की सामग्री की निंदा की, इसे सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को खत्म करने और कमजोर करने का प्रयास बताया।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के एक दिन बाद एसबीआइ ने चुनाव आयोग को चुनावी बांड का डेटा सौंपा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआइ की याचिका को खारिज कर दिया और उसे 12 मार्च को व्यावसायिक घंटों के अंत तक चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्‍ड के विवरण का खुलासा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पोल पैनल को 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चुनावी बॉन्‍ड का विवरण प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया है।

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