सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा, कोरोना संकट से निपटने का क्‍या है प्‍लान, अदालत नहीं बनी रह सकती मूकदर्शक

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आरयू वेब टीम। देश में कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्‍सीजन की कमी व बेहाल स्‍वास्‍थ्‍य-व्‍यवस्‍थाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस संकट के दौर में हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते। अदालत ने कहा कि सरकार को यह बताना होगा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए उसका क्या प्लान है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वैक्सीन की अलग अलग कीमतें क्यों सामने आ रही हैं? वैक्सीन की अलग अलग कीमतों पर केंद्र सरकार क्या कर रही है। कोर्ट ने कहा कि ड्रग कंट्रोलर एक्ट और पेटेंट एक्ट के तहत सरकार को शक्ति हासिल है। जस्टिस एस.आर भट ने आगे कहा, ‘मैं दो मुद्दे उठाना चाहता हूं, जो केंद्र सरकार के अंतर्गत हैं। पहली बात यह कि कैसे केंद्रीय संसाधनों का इस्तेमाल किया जाए। पैरामिलिट्री डॉक्टर्स, पैरामेडिक्स, आर्मी फैसिलिटीज और डॉक्टर्स का कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरी बात यह कि सरकार के पास इस संकट से निपटने के लिए कोई प्लान है या नहीं।’

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सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते केसों का संज्ञान लेते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों को राज्यों में हालातों की निगरानी करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालयों को निगरानी करनी चाहिए, लेकिन शीर्ष अदालत भी चुप नहीं बैठ सकती। कोर्ट ने कहा कि हमारा काम यह है कि राज्यों के बीच समन्वय कायम किया जा सके। इसके अलावा अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या इस संकट में सेना और अन्य बलों का भी केंद्र सरकार की ओर से इस्तेमाल किया जाएगा।

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से दखल देना जरूरी है। इस संकट के दौर में शीर्ष अदालत मूक दर्शक बनकर नहीं बैठी रह सकती। सुप्रीम कोर्ट के सवालों पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हम पूरी सतर्कता के साथ स्थिति को संभालने में जुटे हैं।

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