विधानसभा चुनाव में सबसे ज्‍यादा ठेकेदार, बिल्‍डर ताल ठोकने के लिए तैयार: सर्वे

up elction 2017
प्रेस क्‍लब में पत्रकारों को जानकारी देते एडीआर के पदाधिकारी। फोटो- आरयू

आरयू रिपोर्टर

लखनऊ। आने वाल विधान सभा चुनाव 2017 में बड़े पैमाने पर ठेकेदार, खनन और चिटफण्ड कंपनी चलाने वाले ताल ठोंकने वाले है। इस बार डाक्टर, प्राध्यापक और अधिवक्ताओं की संख्या काफी कम होगी। एडीआर की यूपी इलेक्शन वॉच स्टडी में यह बात सामने आयी है।

चुनाव में संभावित उम्मीदवारी

ठेकेदार – 21%

बिल्डर – 18%

निजी शिक्षण संस्था संचालक  – 17%

खनन माफिया – 13%

चिटफण्ड कंपनी चलाने वाले – 15%

बाकी 16 प्रतिशत सीटों पर अन्‍य वर्ग के उम्‍मीदवार किस्‍मत अजमाते नजर आएंगे।

60 विधान सभाओं में हुआ सर्वे

एडीआर यूपी इलेक्शन वॉच के संयोजक संजय सिंह ने एक प्रेसवार्ता में बताया कि प्रदेश के 60 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 2200 उम्मीदवार (छोटे बड़े सभी दल एवं निर्दलीय संभावित प्रत्याशी) के बारे में स्थानीय लोगों से पूछे गये पांच सवालों से मिली जानकारी के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की गयी है। उन्होने बताया कि इसमें से करीब 49 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवार है जो कि पहली बार चुनाव लड़ेंगे।

जनता से पूछे गये सवाल

1-  उम्मीदवार की पृष्ठभूमि

2-  परंपरागत व्यवसाय और वर्तमान व्यवसाय

3-  क्या पहली बार लड़ रहे चुनाव

4-  समाज सेवा के नाम पर क्या क्या काम किया

5-  उम्मीदवार की आर्थिक हैसियत

  पांच जोन में बांट गया था प्रदेश

संजय सिंह ने बताया कि इसके लिए पूरे प्रदेश को पांच जोन में बांटा गया- बुंदेलखण्ड, अवध, पश्चिम उत्तर प्रदेश और पूर्वांचल में वाराणसी और गोरखपुर। हर जोन की 12 -12 विधानसभाओं को चुना गया है, जिसमें बुंदेलखण्ड को मॉडल के रूप में चुना है। यहां की 19 विधानसभाओं में करीब एक लाख लोगों को चुनाव सुधार एवं मतदाता जागरूकता के विशेष अभियान से जोड़ा गया है।

होना होगा जनता को जागरूक’

उन्होने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के  बाद अब जनता को जागरूक होने की जरूरत है कि वह अपना कीमती वोट किसको देते है। बाहुबली और धनबली चुनाव जीतने के बाद केवल अपनी आय बढ़ाने पर ही फोकस करेंगे।