ट्रेन में मसाज की सुविधा को लेकर BJP की वरिष्‍ठ नेता सुमित्रा महाजन ने उठाए सवाल, रेल मंत्री से पूछे ये सवाल

ट्रेनों में मालिश
सुमित्रा महाजन। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। भारतीय रेलवे की ट्रेनों में मालिश की सुविधा वाली योजना का विरोध शुरू हो गया है। इस योजना पर भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन नेे सवाल उठाए हैं और उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इस पत्र में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने रेल मंत्री से जानना चाहा है कि क्या पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल की प्रस्तावित मालिश योजना को रेल मंत्रालय ने मंजूरी दी है? महाजन ने पत्र में पूछा, “इस प्रकार की (मालिश) सुविधा के लिये चलती रेलगाड़ी में किस तरह की व्यवस्था की जाएगी क्योंकि इससे यात्रियों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा एवं सहजता के संबंध में कुछ प्रश्‍न हो सकते हैं।

साथ ही सुमित्रा महाजन ने अपने पत्र में रेल मंत्री से यह भी जानना चाहा है कि क्या इंदौर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर मसाज पार्लर खोले जाने का भी कोई प्रस्ताव है? आपको बता दें कि सुमित्रा महाजन से पहले, इंदौर क्षेत्र के नवनिर्वाचित भाजपा सांसद शंकर लालवानी भी मसाज योजना पर रेल मंत्री को पत्र लिख चुके हैं।

यह भी पढ़ें- ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ का निरीक्षण कर PM मोदी ने हरी झंडी दिखा किया रवाना, जानें इसकी खास बातें

लालवानी ने गोयल को 10 जून को लिखे पत्र में “भारतीय संस्कृति के मानकों” का हवाला देते हुए रेलवे की प्रस्तावित मालिश सेवा को “स्तरहीन” बताया था। इसके साथ ही, उनसे अनुरोध किया था कि वह इस योजना को लेकर जनमानस की भावनाओं के मुताबिक पुनर्विचार करें।

यहां बताते चलें कि भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल ने इंदौर से चलने वाली 39 ट्रेनों में यात्रियों को मालिश की सुविधा देने का प्रस्ताव तैयार किया है, हालांकि, इसे शुरू करने की तारीख की फिलहाल घोषणा नहीं की गयी है। बहरहाल, रतलाम रेल मंडल के अधिकारी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि चलती ट्रेनों में सुबह छह से रात 10 बजे के बीच प्रस्तावित सेवा के तहत यात्रियों के पूरे शरीर की नहीं, बल्कि सिर और पैर जैसे अंगों की मालिश की जायएंगी।

इस सेवा के बदले यात्रियों से 100 रुपये, 200 रुपये और 300 रुपये की तीन अलग-अलग पैकेज श्रेणियों में शुल्क लिया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक प्रस्तावित मालिश सेवा के लिये एक निजी एजेंसी से करार किया गया है। इस सेवा से रेलवे के खजाने में सालाना 20 लाख रुपये जमा होने की उम्मीद है। चलती ट्रेन में यात्रियों को यह सेवा प्रदान करने वाले लोगों को रेलवे अनुमानित तौर पर करीब 20,000 यात्रा टिकट भी बेचेगा जिससे उसे हर साल लगभग 90 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी।

यह भी पढ़ें- लॉन्‍च के दूसरे दिन ही ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ में आयी खराबी