आरयू वेब टीम। प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में हुई अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ हत्याकांड को लेकर सवाल उठ ही रहे थे कि इस बीच यूपी में फेक एनकाउंटर को लेकर जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी उसपर कोर्ट ने अब बड़ा फैसला करने का मन बना लिया है। जानकारी के मुताबिक अतीक, अशरफ हत्याकांड और यूपी में 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को सुनवाई करने का फैसला कर लिया है।
मिली जानकरी के मुताबिक इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार में बीते छह सालों के दौरान जो भी एनकाउंटर किए गए हैं उनपर विशाल तिवारी नाम के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है, और इसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में कमिटी बनाने की भी डिमांड सामने रखी है।
याचिका में अतीक की हत्या का जिक्र करते हुए कहा गया है कि पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए एक गंभीर खतरा है और एक पुलिस राज्य की ओर ले जाती है। न्यायेतर हत्याओं या फर्जी पुलिस मुठभेड़ों के लिए कानून में कोई जगह नहीं है। याचिका में कहा गया है, “एक लोकतांत्रिक समाज में, पुलिस को अंतिम न्याय देने या दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दंड की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है।”
यह भी पढ़ें- पुलिस कस्टडी में हुए अतीक हत्याकांड की CBI जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अमिताभ ठाकुर
याचिका में कहा गया है कि जब पुलिस ‘डेयरडेविल्स’ बन जाती है तो कानून का पूरा शासन ध्वस्त हो जाता है और पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। इसके परिणामस्वरूप अधिक अपराध भी होते हैं।
बता दें कि यूपी में 2017 से अबतक करीब 183 अपराधी एनकाउंटर में ढेर किये गए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का साफ कहना है कि योगी सरकार में गलत काम करने वाले और माफियाओं को बख्शा नहीं जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सदन में जोरदार भाषण देते हुए कहा था कि अगर माफिया ये सोचते हैं कि वो कोई भी अपराध करके बच जाएंगे तो हम उनको मिटटी में मिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।