आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। दिसंबर 1916 में लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में लोकमान्य तिलक का अमर अजर उद्घोष भारत की स्वतंत्रता की सिंह गर्जना थी। 1857 के स्वतंत्रता समर में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका रही है। लोकमान्य तिलक ने सामाजिक एवं संस्कृतिक रूप से देशवासियों को एक सूत्र में बांधने तथा जनजागृति निर्माण करने के लिए उन्होनें महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती का शुभारम्भ किया।
उक्त बातें राज्यपाल राम नाईक ने आज लोक भवन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्व अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा‘ के सौ साल पूरे होने पर आयोजित स्मृति समारोह में कही। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र सरकार के बीच ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की दृष्टि से सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
यह भी पढ़ें- योगी ने कहा कि आलिया का गीता का प्रस्तुतीकरण है आंखें खोलने वाला
एमओयू पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का रिश्ता बहुत पुराना है। भगवान राम का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था पर वनवास के समय पर वे नासिक के पंचवटी में रहे थे। साथ ही मुंबई देश की आर्थिक राजधानी उत्तर प्रदेश के लोगों की मेहनत से बनी है।
राज्यपाल कार्यक्रम में बोले कि शिवाजी को महाराष्ट्र में कुछ सरदार छत्रपति राजा मानने के लिए तैयार नहीं थे। काशी से आमंत्रित पण्डित गागा भट्ट ने शिवाजी का राज्याभिषेक कराया तो उन्हें छत्रपति की मान्यता मिली। जबकि संगीत के क्षेत्र में महाराष्ट्र के पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे ने लखनऊ को अपनी साधना स्थली बनायी तथा देश का एक मात्र भातखण्डे संगीत संस्थान की स्थापना की।
इतिहास नहीं सजोने वाली कौम का भूगोल भी नहीं रहता सुरक्षित: योगी
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो कौम अपना इतिहास नहीं सजो सकती, वह अपना भूगोल भी सुरक्षित नहीं रख सकती। आज का कार्यक्रम वर्तमान को प्रकाश दिखाने वाला समारोह है। लोकमान्य तिलक के उद्घोष के अर्थ को समझना होगा। महापुरूषों ने जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करके संघर्ष के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य किया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। संविधान के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करने के लिए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को साकार करने की जरूरत है।
योगी ने लोकमान्य तिलक को याद करते हुए कहा कि उनके उद्धोष में देश की आजादी का मतलब दिखता है। मण्डाला के जेल में रहते हुए लोकमान्य तिलक ने गीता रहस्य लिखकर युवाओं को प्रेरित किया।
लोकमान्य तिलक के नारों से प्रेरित हुए लाखों क्रांतिकारी: फडणवीस
कार्यक्रम में मौजूद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि लोकमान्य तिलक देश की स्वतंत्रता में योगदान देने वाले अग्रणी व्यक्ति थे। उनके नारे ने लाखों क्रांतिकारियों को प्रेरित किया और देश की स्वाधीनता की दिशा तय की। लोकमान्य तिलक के नारे से जनसामान्य में ऊर्जा और जागृति आई। लखनऊ के 1916 के अधिवेशन ने स्वतंत्रता को नया आयाम दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास से सीख न लेने वाले लोग और उनकी संस्कृति समाप्त हो जाती है।
यह भी पढ़ें- विधानसभा में विरोधियों पर गरजे योगी, कहा मुद्दा छोड़ लोग कर रहें व्यक्तिगत टिप्पणी
इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को राज्यपाल ने प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को क्रमशः पचास हजार, पच्चीस हजार तथा पन्द्रह हजार का नगद पुरस्कार, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्मारिका ‘लोकमान्य’ एवं प्रो0 अरूण तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक ‘ए मार्डन इण्टर प्रटेशन ऑफ लोकमान्य तिलक गीता रहस्य’ का लोकार्पण भी किया गया।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायन दीक्षित, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ. दिनेश शर्मा, मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल, नीलकंठ तिवारी, संदीप सिंह, पुणे की महापौर मुक्ता तिलक, लोकमान्य तिलक के प्रपौत्र शैलेश तिलक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उनके परिजन, शहीदों के परिजनों के अलावा छात्र-छात्राएं भी मौजूद रही।