आरयू वेब टीम। देश में जल्द ही होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आज उत्तराखंड विधानसभा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया। यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ये विधेयक पेश किया। विधेयक पेश करने के बाद सीएम धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया। उन्होंने कहा विधानसभा में ऐतिहासिक “समान नागरिक संहिता विधेयक” पेश किया।
मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के इस दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने भारत माता की जय के नारे लगाये। प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। विपक्ष के नेताओं ने इसे लोकसभा चुनाव के समय भ्रमित करने का माध्यम बताया है।
दूसरी ओर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है। बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है। दो बजे इस पर चर्चा भी होनी है। ऐसे में इतनी देर में क्या चर्चा करेंगे और क्या पढ़ेंगे।
चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था। यूसीसी के तहत सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी। पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा।
ये होंगे कानून
• लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है।
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर छह माह की सजा होगी।
इस रजिस्ट्रेशन के बारे में माता-पिता को भी बताना होगा कि वो घर से अलग कहां और किसके साथ रहते हैं। ऐसा लड़के और लड़की दोनों को करना होगा। लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार होगा।
• महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है।
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं।
• बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है।
• शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी, बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है।
• उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा।
•अगर कोई संतान अपने माता-पिता की सेवा करता है और दूसरा संपत्ति के लिए अपने माता पिता से गलत बर्ताव करता है तो इस नए कानून के तहत दोनों तरह के बच्चों का संपत्ति में समान अधिकार नहीं होगा।
• नए कानून में धारा-3(1-ड़), 3 (3-झ) के तहत प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी को भी स्वेच्छा अपनी वसीयत में शामिल कर सकता है और चाहे तो उसे हटा भी सकता है।
यूसीसी लागू होने पर ये होगा प्रावधान?
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे।
जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी हैं।
बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे।
मुसलमानों को चार शादी करने की छूट नहीं रहेगी।
क्या नहीं बदलेगा?
• धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
• धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं है।
• ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे।
• खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं है।
किस पर लागू होगा?
राज्य के मूल निवासी व स्थाई निवासियों पर, राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के वे स्थाई कर्मचारी जो राज्य की सीमा में तैनात हों, राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे हों, ऐसे व्यक्तियों पर ये एक्ट लागू होगा।
इस बीच राज्य विधानसभा में यूसीसी बिल पेश होने पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि ”अगर राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के नाम पर शासक वर्ग के लिए दूसरे समुदाय की परंपराओं में हस्तक्षेप करने के लिए कानून लाती है, तो क्या वैमनस्य नहीं होगा।